दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश थाईलैंड में बाढ़ और भूस्खलन से हालात बेहद खराब हो गए हैं. देश में प्राकृतिक आपदा के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 145 पहुंच गई है, जिसमें से कुल 110 लोगों की मौत थाईलैंड के अकेले सोंगखला प्रांत में दर्ज की गई है. इन प्राकृतिक आपदाओं का असर थाईलैंड की बड़ी आबादी पर व्यापक रूप से पड़ा है. इसमें 12.5 लाख घरों और 36 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.

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इस मुश्किल समय में देश की जनता सरकार की लापरवाही के कारण काफी ज्यादा आक्रोशित है. थाईलैंड में बाढ़ और भूस्खलन की आपदा ऐसे समय पर आई है, जब देश पहले से ही आर्थिक मंदी, पर्यटन में गिरावट और सीमा पर तनाव जैसे मुश्किल समस्याओं का सामना कर रहा है. ऐसे में लोगों का गुस्सा सरकार के प्रति बढ़ रहा है.

थाईलैंड में पीएम ने आपातकालीन कानून को किया लागू

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थाईलैंड में बाढ़ प्रबंधन में खामियों को स्वीकार करते हुए सरकार के प्रवक्ता ने कहा, ‘गलतियां हुई हैं और सरकार इससे इनकार नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल ने मंगलवार (25 नवंबर, 2025) को ही सोंगखला प्रांत में इमरजेंसी लागू करने की घोषणा की थी. इसके साथ ही उन्होंने राहत और बचाव के कार्यों में तेजी लाने के लिए आपातकालीन कानून को भी लागू किए. जबकि थाईलैंड के आपदा प्रबंधन मंत्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछे जा रहे सवालों से घिरने के बाद वॉकआउट करना पड़ा.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, थाईलैंड के सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि गुरुवार शाम तक पानी का स्तर नदी के किनारों से नीचे जाने की उम्मीद है. पानी का स्तर अगर नीचे जाता है तो इससे बचाव कार्यों में आसानी होगी और सरकार बड़े पैमाने पर सफाई अभियान शुरू कर सकेगी.

बाढ़ के कारण दक्षिणी थाईलैंड के 9 इलाके बुरी तरह प्रभावित

डिपार्टमेंट ऑफ डिजास्टर प्रिवेंशन एंड मिटिगेशन के हवाले से न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने बताया कि मॉनसून से आई बाढ़ ने थाईलैंड के दक्षिणी इलाके के नौ प्रांतों पर बुरी तरह से प्रभावित किया है. जिसके कारण थाईलैंड के 2.20 मिलियन लोगों पर इसका असर पड़ा है.

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