इस्लामाबाद: कोरोना वायरस के मद्देनजर पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने सोमवार को कड़ा कदम उठाया है. उसने सभी हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसलों पर रोक लगा दी. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण कैदियों की जमानत अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती.


कोरोना वायरस के कारण जमानत देने पर सवाल


पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश समेत 5 जजों की बेंच सोमवार को एक अपील पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें इस्लामाबाद हाईकोर्ट के विचाराधीन कैदियों को जमानत देने के अधिकार को चुनौती दी गई थी. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट कैदियों की रिहाई के संबंध में अलग-अलग फैसले दे रहे हैं. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी हाईकोर्ट के उन फैसलों को स्थगित कर दिया जिनमें विचाराधीन कैदियों को रिहा करने की बात कही गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और हाईकोर्ट को अतिरिक्ति हिदायत जारी करने से मना कर दिया.


सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को भी दिया निर्देश


दरअसल 20 मार्च को इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने मामूली जुर्म में पकड़े गए विचाराधीन कैदियों की रिहाई का हुक्म जारी किया था. इससे रावलपिंडी के भीडभाड़ वाली अदियाला जेल में रखे गये कैदियों के छूटने का रास्ता साफ हो गया था. हाईकोर्ट ने इस्लामाबाद पुलिस को ये भी कहा था कि छोटे-मोटे अपराधों पर गिरफ्तारी ना की जाए. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि कैसे हाईकोर्ट विचाराधीन कैदियों की रिहाई का आदेश जारी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी संगीन है. मगर हाईकोर्ट ने किस नियम के तहत कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया.


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