China-US Trade War: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध अब केवल टैरिफ और कंपनियों पर प्रतिबंध तक सीमित नहीं रहा. अब यह युद्ध जरूरी रिसोर्स की सप्लाई पर कंट्रोल तक पहुंच चुका है. चीन ने हाल ही में अपने Rare Earth Elements के एक्सपोर्ट पर सख्त नियंत्रण लागू कर दिया है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की उद्योगों, सैन्य जरूरतों और तकनीकी विकास पर गहरा असर पड़ सकता है.
Rare Earth Elements एक समूह है जिसमें 17 विशेष धातुएं शामिल होती हैं. ये अलग-अलग तरह के हाई-टेक्नोलॉजी मशीनों जैसे इलेक्ट्रिक मोटर्स, ड्रोन-मिसाइलें, जेट इंजन-लेजर, कंप्यूटर चिप्स-स्मार्टफोन्स, EVs और सैटेलाइट्स के निर्माण में बेहद जरूरी मानी जाती है. विशेष रूप से Heavy Rare Earth Elements (HREE) जैसे डिस्प्रोसियम, टेरबियम, यिट्रियम का इस्तेमाल ऐसे मैग्नेट बनाने में होता है, जो अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक और सैन्य उपकरणों के जरूर कंपोनेंट की तरह काम करता है
दुनिया में चीन की बादशाहतचीन दुनिया में Rare Earth Elements का लगभग 90% उत्पादन करता है. इस संसाधन पर उसकी एकाधिकार स्थिति उसे एक मजबूत शक्ति प्रदान करती है. अमेरिका, यूरोप, जापान और भारत जैसे देश इस सप्लाई चेन पर निर्भर हैं. अमेरिका में केवल एक रेयर अर्थ माइन है. म्यांमार और लाओस की खदान भी चीन के नियंत्रण में हैं. चीन के पास रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी का पूरा कंट्रोल है.
चीन के फैसले से कौन सी चीजों पर पड़ेगा असर?चीन की ओर से रेयर अर्थ मेटल के एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया गया तो निम्नलिखित क्षेत्रों पर इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है, जो इस प्रकार है.
क्षेत्र असरडिफेंस मिसाइल, ड्रोन, रडार, फाइटर जेट निर्माण प्रभावितऑटोमोबाइल इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले मैग्नेटसेमीकंडक्टर कंप्यूटर चिप्स, AI सर्वर, स्मार्टफोन पर असरएयरोस्पेस उपग्रह जेट इंजन निर्माण की गति धीमीलॉकहीड मार्टिन, टेस्ला, एप्पल जैसी कंपनियां इस संकट से सीधे प्रभावित हो सकती हैं.
अमेरिका की चुनौतीअमेरिका के पास कुछ दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का भंडार है लेकिन यह स्थायी सप्लाई के लिए नाकाफी है. ऐसी स्थिति में अमेरिका को स्वदेशी उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना पड़ेगा. उसे सप्लाई के लिए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों की तरफ जाना पड़ेगा. रीसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी पर अमेरिका को ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी. स्ट्रेटेजिक स्टॉकपाइल मतलब उसे अपने पुराने स्टॉक से ही काम चलाना पड़ेगा.
नई नीति और निर्यात लाइसेंस की जटिलताबीजिंग ने एक नई नियामक प्रणाली का मसौदा तैयार किया है. इसके लागू होते ही सभी निर्यात विशेष लाइसेंस के तहत होंगे. हालांकि, यह लाइसेंस प्रक्रिया धीमी और अपारदर्शी है. कुछ कंपनियों (जैसे US डिफेंस कांट्रैक्टर्स) को स्थायी रूप से ब्लॉक किया जा सकता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कई चुम्बकों की खेप चीनी बंदरगाहों पर पहले ही रोक दी गई है.