XI Jinping President Of China: चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (XI Jinping) की तीसरी बार ताजपोशी होने वाली है लेकिन उससे पहले ही उन्होंने अपनी तानाशाही वाले तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इतनी सारी उपाधियां दी गई हैं कि उन्हें हर चीज का अध्यक्ष कहा जाता है. शी जिनपिंग का आकर्षण कम्युनिस्ट पार्टी के कुलीन वर्ग के बीच बढ़ रहा है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) का पूरा ध्यान अपने अस्तित्व पर है. चीन की सत्ता पर शी जिनपिंग के एकाधिकार के लिए प्रचार किया जा रहा है. इसके लिए शी को तरह की उपाधियां भी दी जा रही है, जिसका वहां काफी विरोध किया जा रहा है. 


शी जिनपिंग को दी गई कई उपाधियां


पीपुल्स रिपब्लिक के संस्थापक माओ को सबसे पहले Lingxiu या "नेता" का टाइटल दिया गया था. यह माओ के लिए आरक्षित प्रशंसा की एक सम्मानित उपाधि है, जिसे 1966 में सांस्कृतिक क्रांति शुरू होने पर महान नेता के रूप में दिया गया था. पार्टी के अधिकारियों और राज्य मीडिया ने पिछले कुछ सालों में शी को यह उपाधि रेनमिन लिंग्ज़िउ के रूप प्रदान की गई. इस हफ्ते कम से कम दो पोलित ब्यूरो सदस्यों सहित कई पार्टी कार्यकर्ताओं को इस शी के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल करते हुए देखा गया है. शी के करीबी सहयोगी और बीजिंग पार्टी के चीफ काई क्यूई ने रविवार (16 अक्टूबर) दोपहर कहा कि पिछले एक दशक ने साबित कर दिया है कि चीनी राष्ट्रपति लोगों के नेता हैं जिन्हें हमसे हार्दिक प्यार है."


वरिष्ठ सांसद वांग चेन ने भी सोमवार (17 अक्टूबर) सुबह हुबेई प्रांत के प्रतिनिधिमंडल की चर्चा के दौरान शी की प्रशंसा करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया. सेंट्रल कमेटी पॉलिसी रिसर्च ऑफिस के डिप्टी चीफ तियान पियान ने पार्टी के इतर एक प्रेस क्रॉन्फ्रेंस में कहा कि महासचिव शी जिनपिंग हमारे महान युग के उत्कृष्ट व्यक्ति हैं और लोगों के नेता हैं जिन्हें सभी लोग देखते हैं. इन सभी बयानबाजी के बाद से ही शी जिनपिंग के लगातार तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बनने के कयास लगाए जा रहे हैं. यह सभी घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि शी जिनपिंग की पार्टी के भीतर भी मजबूत पकड़ है. यह दर्शाता है कि 1976 में माओ की मृत्यु के बाद उनके अशांत शासन का अंत होने के बाद सामूहिक नेतृत्व को अपनाने वाली पार्टी में शी ने बहुत अधिक शक्ति अर्जित की है. 


बीजिंग में विरोध में उठ रही आवाज


पिछले दिनों बीजिंग में एक प्रदर्शनकारी ने वहां स्थित पुल पर बैनर लगाकर अपनी चिंताएं जाहिर करते हुए उसपर लिखा था कि हम सुधार चाहते हैं, सांस्कृतिक क्रांति नहीं. हम वोट करना चाहते हैं, कोई लिंगसू नहीं. दरअसल, प्रदर्शनकारी ने शी की कोविड शून्य नीति की तुलना सांस्कृतिक क्रांति से करते हुए उनके प्रति अपना विरोध दर्ज कराया था. जानाकरों की मानें तो इस प्रकार के विरोध प्रदर्शनों से पता चलता है कि चीन की जनता सोचती है कि कि शी माओ बनने की कोशिश कर रहे हैं और वह कह रहे हैं कि उन्हें दूसरे माओ की जरूरत नहीं है.


क्यों किया जा रहा विरोध?


चीनी इतिहास से पता चलता है कि इस तरह की भव्य उपाधियों को ग्रहण करना जोखिम भरा कदम हो साबित हो सकता है. जब सांस्कृतिक क्रांति शुरू हुई, उस समय माओ के नामित उत्तराधिकारी लिन बियाओ सहित कुछ पार्टी कैडर ने माओ को "महान शिक्षक, महान नेता, महान कमांडर और महान हेलमैन" कहना शुरू कर दिया. पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने औपचारिक रूप से संदर्भों को अपनाया और वे फैलने लगे. माओ की मृत्यु के बाद, उनके उत्तराधिकारी हुआ गुओफेंग को यिंगमिंग लिंग्सिउ और "बुद्धिमान नेता" की उपाधि दी गई, लेकिन बाद में उनपर अमेरिकी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर जोसेफ टोरिगियन के अनुसार व्यक्तित्व पंथ में शामिल होने का आरोप लगाया गया. 


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