चीन ने भारत के खिलाफ एक बार फिर विश्व व्यापार संगठन (WTO) का रुख किया है. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों पर लगाए गए सीमा-शुल्क और सौर क्षेत्र को दी जा रही सब्सिडी को लेकर चीन ने भारत के खिलाफ WTO में याचिका दायर कर औपचारिक परामर्श की मांग की है. यह याचिका शुक्रवार को दाखिल की गई.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय का बयानचीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने जारी बयान में कहा कि भारत द्वारा अपनाए गए ये उपाय WTO के कई प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं. इसमें ‘राष्ट्रीय उपचार’ (नेशनल ट्रीटमेंट) के सिद्धांत के उल्लंघन का भी आरोप लगाया गया है. चीन का कहना है कि भारत के ये कदम आयात-प्रतिस्थापन सब्सिडी की श्रेणी में आते हैं, जो WTO के नियमों के तहत स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित हैं. मंत्रालय के अनुसार, ऐसे उपाय घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देकर विदेशी कंपनियों के लिए बाजार को असमान बना देते हैं.
घरेलू उद्योगों को अनुचित फायदा देने का दावाचीन के वाणिज्य मंत्रालय ने आरोप लगाया कि भारत की नीतियां उसके घरेलू उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देती हैं, जिससे चीनी कंपनियों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है. बयान में चीन ने भारत से अपने WTO दायित्वों का सम्मान करने और इन नीतियों में जल्द संशोधन करने का आग्रह किया है. चीन का कहना है कि मौजूदा उपाय अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं हैं.
परामर्श प्रक्रिया से समाधान की कोशिशWTO की प्रक्रिया के तहत अब भारत और चीन आपसी परामर्श के जरिए इस विवाद का समाधान खोजने की कोशिश करेंगे. यदि परामर्श के दौरान कोई समाधान नहीं निकलता है, तो मामला विवाद निपटान पैनल के पास जा सकता है.
ट्रंप टैरिफ के बीच चीन ने की थी रिश्ते सुधारने की कोशिशजब डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर भारी भरकम टैरिफ लगाए थे, तब बीजिंग ने रणनीतिक रूप से भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिशें तेज कर दी थीं. चीन समझ रहा था कि अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध की स्थिति में उसे एशिया में वैकल्पिक साझेदारों की जरूरत होगी, और भारत एक बड़ा बाजार होने के साथ-साथ क्षेत्रीय शक्ति भी है, लेकिन अब वो भारत के साथ कूटनीतिक चालें चल रहा है. ऐसा दूसरी बार हुआ है कि बीते कुछ ही महीनों में उसने WTO में दो बार भारत की शिकायत की है.
इस साल दूसरी बार भारत के खिलाफ याचिकायह इस साल चीन द्वारा भारत के खिलाफ WTO में दायर की गई दूसरी याचिका है. इससे पहले अक्टूबर महीने में भी चीन ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और बैटरी क्षेत्र में कथित अनुचित सब्सिडी को लेकर भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. पिछली याचिका में चीन ने आरोप लगाया था कि भारत की ईवी और बैटरी क्षेत्र से जुड़ी सब्सिडी नीतियां उसके व्यापारिक हितों को प्रभावित कर रही हैं. उस मामले में भी चीन ने WTO से भारत के साथ परामर्श की मांग की थी.