China Action After Operation Sindoor: भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के कई कैंप तबाह कर दिए. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान में बैठे 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. जब पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई की तो भारत ने पाक के 12 एयरबेस तबाह कर दिए. इसके अलावा उसके एयर डिफेंस सिस्टम भी ध्वस्त कर दिए. पाकिस्तान का ऐसा हस्र देखकर उसका दोस्त चीन घबरा गया है. इसके सबूत को देखने को मिल गए है. हाल ही में एक सैटेलाइट इमेज से यह पुष्टि हुई है कि तिब्बत में स्थित नगारी गुंसा एयरबेस पर अब केवल नागरिक उड़ानें नहीं, बल्कि सैन्य संचालन भी शुरू हो चुका है.
नगारी गुंसा एयरबेस पर पहली बार चार J-11 फाइटर जेट और एक Y-20 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की उपस्थिति दर्ज की गई है. ओपन सोर्स इंटेलिजेंस ने दावा किया है कि एप्रन की सक्रियता नगारी गुंसा के हाल ही में विकसित सैन्य विंग की ऑपरेशनल एक्टिविटी का संकेत दे रही है. नगारी गुंसा एयरबेस की लोकेशन इसे रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है. यह एयरबेस लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से बेहद करीब है.
क्या है Y-20 ट्रांसपोर्ट विमान?
Y-20 कुनपेंग चीन का सबसे बड़ा सैन्य परिवहन विमान है, जिसे शीआन एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन ने विकसित किया है. ये एयरक्राफ्ट 66 टन का भार उठा सकता है. ये आसानी से एक बार में 4,500 किलोमीटर उड़ सकता है. ये किसी भी जगह पर टैंक, भारी हथियार, सैनिकों को तुरंत पहुंचाने की क्षमता रखता है. इसकी ताकत सी-17 ग्लोबमास्टर III के बराबर है. इसकी तैनाती यह संकेत देती है कि चीन न केवल हवाई हमलों के लिए तैयार है, बल्कि तेज ट्रूप मोबिलाइजेशन और सप्लाई के लिए भी तैयार है.
कितना ताकतवर है J-11 फाइटर जेट?
J-11 फाइटर विमान को चीन ने रूस के Su-27 की नकल कर तैयार किया है. इसकी रेंज 3,530 किमी है. इसका तैनात होना यह दिखाता है कि चीन अब तिब्बत के एयरबेसों को सक्रिय लड़ाकू भूमिका में बदल रहा है, जो पहले केवल सपोर्ट बेस माने जाते थे. यह फाइटर एयरबेस लद्दाख के एयरस्पेस में मिनटों में घुस सकता है. भारतीय वायुसेना को उत्तर भारत में रैपिड रिस्पांस देने के लिए अतिरिक्त दबाव में डाल सकता है.
भारत के लिए क्या खतरा है?
चीन का सामरिक रूप से तिब्बत में सक्रिय होते एयरबेस हिमालयी क्षेत्र में राजनीतिक असंतुलन पैदा कर सकते हैं. नगारी गुंसा, शिगात्से और ल्हासा एयरबेस के सक्रिय होने से भारत के लिए तीन दिशाओं से दबाव बन सकता है. PLA की तैनाती अब केवल पैदल सेना तक सीमित नहीं रही. वहां अब लड़ाकू विमानों, ट्रांसपोर्टर्स और ड्रोन भी शामिल हैं. यह LAC पर दबाव बनाने और भारत को बातचीत में पीछे धकेलने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.