पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण हैं. भारी गोलीबारी और बमबारी के बाद दोनों पक्षों ने 15 अक्टूबर (बुधवार) को 48 घंटे के सीजफायर पर सहमति जताई थी. अब दोनों पक्षों के बीच सीजफायर बढ़ा दिया गया है. दोनों देशों के बीच दोहा में औपचारिक बातचीत हो सकती है. इससे पहले तालिबान ने शुक्रवार को कहा कि ईरान पाकिस्तान और तालिबान के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार है. यह जानकारी तालिबान के बयान में ईरान के साउथ एशिया मामलों के अधिकारी रेजा बह्रामी के हवाले से दी गई है, जो काबुल में हुई बैठक में मौजूद थे. इससे पहले न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने अफगानिस्तानी मीडिया के सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया था कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान कतर की राजधानी दोहा में बातचीत कर सकते हैं. अफगानिस्तानी मीडिया के सूत्रों के हवाले से बताया गया कि अफगानिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी पक्ष के साथ बातचीत करने के लिए दोहा जा सकता है.
ईरान का मध्यस्थ बनने का प्रस्तावतालिबान के प्रवक्ता के अनुसार, बह्रामी ने तालिबान के शरणार्थी मंत्री अब्दुल कबीर को बताया कि ईरान इस्लामाबाद और काबुल के बीच विवाद सुलझाने में मदद करने को तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि ईरान अफगान नागरिकों के लिए 2,00,000 कार्य वीजा जारी करने की योजना बना रहा है.
शरणार्थी और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा बैठक में दोनों पक्षों ने शरणार्थी और हालिया क्षेत्रीय घटनाओं पर भी चर्चा की. तालिबान ने बताया कि ईरानी अधिकारी काबुल आ सकते हैं ताकि आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत किया जा सके. अब्दुल कबीर ने कहा कि वह ईरान में अफगान लौटने वालों की समस्याओं को हल करने के लिए एक योजना तेहरान को पेश करेंगे. सीमा पर हिंसा और बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति यह घटनाक्रम पिछले सप्ताह तालिबान और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के बीच सबसे खतरनाक सीमा झड़पों के बीच सामने आया है. यूएन असिस्टेंस मिशन इन अफगानिस्तान (UNAMA) के अनुसार, इन झड़पों में कम से कम 37 लोग मारे गए और 425 घायल हुए. सूत्रों के अनुसार, तालिबान की एक प्रतिनिधिमंडल दोहा जाएगा ताकि बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए वार्ता की जा सके.