बांग्लादेश की शिक्षा व्यवस्था इस समय बड़े विवाद के केंद्र में है. मोहम्मद यूनुस प्रशासन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत प्राथमिक विद्यालयों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा है. इसका मकसद बच्चों को कला, संस्कृति और रचनात्मक शिक्षा से जोड़ना है, लेकिन जमात-ए-इस्लामी, खिलाफत मजलिस और बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन जैसे कट्टरपंथी समूहों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है.

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इन संगठनों का कहना है कि कम उम्र में संगीत और नृत्य सीखने से धार्मिक शिक्षा कमजोर हो जाएगी. इससे बच्चे नास्तिक बन सकते हैं और अगली पीढ़ी इस्लाम में विश्वास खो देगी. स्कूलों में धार्मिक और नैतिक शिक्षा को अनिवार्य रूप से लागू करना चाहिए. अगर यह नीति जारी रही तो बांग्लादेश का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश के अमीर सैयद रेजाउल करीम ने कहा कि संगीत और नृत्य बच्चों में भ्रष्टाचार और नैतिक पतन को बढ़ावा देंगे.

यूनुस प्रशासन पर सीधा हमलाकट्टरपंथी समूहों ने यूनुस प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर प्राथमिक विद्यालयों में कला शिक्षकों की नियुक्ति की गई तो सड़क पर विरोध प्रदर्शन होंगे, जब तक धार्मिक शिक्षकों की भर्ती नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे. उनका दावा है कि यह कदम इस्लाम और कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है.

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शिक्षा नीति पर टकरावयह विवाद बांग्लादेश में शिक्षा और समाज के बीच गहरे टकराव को दिखा रहा है. एक ओर सरकार बच्चों को समग्र शिक्षा (Holistic Education) देना चाहती है, जिसमें कला और संस्कृति शामिल हो. दूसरी ओर कट्टरपंथी समूह इसे धार्मिक मूल्यों पर हमला मानते हैं. कई लोगों का मानना है कि यह विवाद बांग्लादेश की सांस्कृतिक और राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है. बांग्लादेश में  कट्टरपंथी समूहों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार प्राथमिक विद्यालयों में कला शिक्षकों की भर्ती की दिशा में आगे बढ़ेगी तो सड़कों पर विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे.

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