बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में भीड़ ने हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी और शव को पेड़ से बांधकर जला दिया था. इस भयानक घटना की जांच में नया मोड़ सामने आया है.

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शुरू में इसे पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपशब्द कहने (ईशनिंदा) का मामला बताया गया था, लेकिन पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की जांच में इस आरोप के कोई ठोस सबूत नहीं मिले. जांच अधिकारियों का कहना है कि हत्या की असली वजह फैक्ट्री के अंदर काम का विवाद, प्रोडक्शन टारगेट, ओवरटाइम और हाल ही में प्रमोशन की परीक्षा को लेकर पुरानी दुश्मनी थी.

फैक्ट्री में विवाद के चलते भीड़ के हवाले किया

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ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 साल के दीपूचंद्र दास पायनियर निटवेयर्स (BD) लिमिटेड नाम की गारमेंट फैक्ट्री में फ्लोर मैनेजर थे. वह हाल ही में सुपरवाइजर पद के लिए प्रमोशन की परीक्षा दे चुके थे. फैक्ट्री के सीनियर मैनेजर साकिब महमूद ने बताया कि दोपहर करीब 5 बजे कुछ वर्कर्स ने दीपू पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाकर फैक्ट्री के अंदर ही विरोध शुरू कर दिया. दीपु के भाई अपू चंद्र दास ने बताया कि दीपु का कई सहकर्मियों से पहले से विवाद चल रहा था. ये विवाद काम की स्थितियों, टारगेट और वर्कर्स के फायदे को लेकर थे.

18 दिसंबर 2025 को झगड़ा बढ़ा और फैक्ट्री के फ्लोर इन-चार्ज ने दीपु को जबरन इस्तीफा देने पर मजबूर किया. इसके बाद उन्हें फैक्ट्री से बाहर निकालकर भीड़ के हवाले कर दिया गया. अपू को दीपु के दोस्त हिमेल से फोन आया कि दीपु को पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा है, लेकिन थोड़ी देर बाद पता चला कि उनकी मौत हो गई. जब अपू मौके पर पहुंचे तो शव जला हुआ मिला.

पीट-पीटकर मार डाला, पेड़ से बांधकर जलाया

पुलिस के मुताबिक, फैक्ट्री से करीब एक किलोमीटर दूर हाईवे के पास दीपु को पीटा गया. मौत के बाद शव को पेड़ से बांधकर उस पर केरोसिन डालकर आग लगा दी गई. घटना के भयानक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिनमें भीड़ दीपु को पीट रही है और शव जल रहा है.

ढाका ट्रिब्यून और डेली स्टार के मुताबिक,

  • मयमनसिंह के अतिरिक्त पुलिस सुपरिटेंडेंट अब्दुल्लाह अल मामुन ने कहा, 'ईशनिंदा के आरोप सिर्फ मुंह जबानी हैं. हमें अब तक कोई सच्चाई नहीं मिली.'
  • भालुका मॉडल पुलिस स्टेशन के अधिकारी मोहम्मद जाहिदुल इस्लाम ने कहा कि कोई धार्मिक अपमान का सबूत नहीं मिला. जांच फैक्ट्री के अंदरूनी विवाद पर केंद्रित है.
  • RAB के कंपनी कमांडर एमडी शमसुज्जमां ने बताया, 'मौके पर मौजूद लोगों में से किसी ने दीपु को धर्म के खिलाफ कुछ कहते नहीं सुना. फेसबुक या ऑनलाइन कोई पोस्ट भी नहीं मिली. घटना दोपहर 4 बजे शुरू हुई, जब फ्लोर इन-चार्ज ने दीपु को इस्तीफा देने पर मजबूर किया और उन्हें गुस्साई भीड़ के हवाले कर दिया.'
  • लोकल वार्ड मेंबर तोफाज्जेल हुसैन ने कहा, 'यह धार्मिक गुस्से से नहीं, बल्कि प्लानिंग से हुआ लगता है. दीपु को फैक्ट्री से निकालने की साजिश थी.'

इस मामले में 12 लोग गिरफ्तार हुए

ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, गिरफ्तार लोगों में फैक्ट्री के फ्लोर मैनेजर आलमगीर हुसैन, क्वालिटी इन-चार्ज मिराज हुसैन अकोन और वर्कर्स में आशिकुर रहमान, कय्युम, लिमोन सरकार, तारिक हुसैन, मैनिक मिया, इरशाद अली, निजामउद्दीन, अजमल हसन सगीर, शाहीद मियां और नजमुल शामिल हैं. जांच जारी है और और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.

समय रहते सूचना मिलने पर दीपु की जान बच सकती थी

पुलिस का कहना है कि फैक्ट्री मैनेजमेंट ने समय पर पुलिस को सूचना नहीं दी, जिससे दीपु की जान बचाई जा सकती थी. फैक्ट्री वाले कहते हैं कि उन्होंने पुलिस को फोन किया था, लेकिन भीड़ और ट्रैफिक जाम की वजह से पुलिस देर से पहुंची. यह घटना उस समय हुई जब बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बड़े प्रदर्शन चल रहे थे. हादी की मौत से देश में अशांति बढ़ी थी.

भारत ने इस भयानक हत्या पर गहरी चिंता जताई

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, 'हम बांग्लादेश में स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं. अल्पसंख्यकों पर हमलों की चिंता जता चुके हैं और दोषियों को सजा देने की मांग की है.'

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी हत्या की कड़ी निंदा की है. सरकार ने कहा, 'नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा की कोई जगह नहीं. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.' जांच पूरी होने पर दोषियों को सजा देने का वादा किया गया है.