बांग्लादेश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार (22 दिसंबर, 2025) को भारत के पूर्वोत्तर हिस्से और चिकन नेक को लेकर हाल में एक बांग्लादेशी नेता की ओर से दिए गए बयान को खतरनाक करार दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे बयान बांग्लादेश के मौजूदा मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के तहत मजबूत हुए चरमपंथी तत्वों को दर्शाते हैं.
दरअसल, बांग्लादेश की नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेता हसनत अब्दुल्ला ने हाल ही में एक उग्र भाषण दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि बांग्लादेश भारत से अलगाववादी ताकतों को शरण दे सकता है और देश के सात पूर्वोत्तर राज्यों (सेवन सिस्टर्स) को देश से अलग कर सकता है.
शेख हसीना ने भारत के साथ रिश्तों पर क्या कहा?
वहीं, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित चिकन नेक कॉरिडोर भारत की मुख्यभूमि को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है, जो दुनिया के सबसे संवेदनशील रणनीतिक बॉटलनेक्स में से एक माना जाता है.
न्यूज एजेंसी एएनआई को ईमेल के जरिए दिए एक इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा, ‘इस तरह के बयान बेहद खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना हैं, जो मोहम्मद यूनुस के शासन में प्रभाव बढ़ाने वाले चरमपंथी तत्वों को दिखाते हैं. कोई भी गंभीर नेता ऐसे पड़ोसी देश को धमकी नहीं देता है, वो भी तब जब बांग्लादेश व्यापार, परिवहन और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए उसी पर निर्भर है.’
भारत को चिंता जताने का पूरा अधिकार- शेख हसीना
बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी की प्रमुख शेख हसीना का यह बयान ऐसे समय आया, जब कट्टरवादी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश में ताजा हिंसा भड़क उठी है. ऐसे में भारत-विरोधी बयानबाजी पर टिप्पणी करते हुए शेख हसीना ने कहा, ‘यह सिर्फ एक समान विचारों वाली कल्पनाओं की सेवा करता है, बांग्लादेश के राष्ट्रीय हितों की नहीं. भारत को ऐसे बयानों पर चिंता जताने का पूरा हक है और यह आवाजें बांग्लादेश की जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं हैं. हमारे लोग यह समझते हैं कि हमारी समृद्धि और सुरक्षा नई दिल्ली के साथ मजबूत रिश्तों पर निर्भर है.’
जिम्मेदार शासन लौटेगा तो लापरवाह बयानबाजी खत्म हो जाएगी- हसीना
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने इस बात पर भरोसा जताते हुए कहा कि जैसे ही देश में लोकतंत्र बहाल होगा और एक जिम्मेदार शासन सत्ता में आएगी, इस तरह की सब लापरवाह बयानबाजी खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा, ‘भारत और बांग्लादेश के संबंधों में मौजूदा तनाव पूरी तरह से यूनुस शासन की देन है, जिनकी सरकार भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण बयान देती है, धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफल रहती है और चरमपंथियों को विदेश नीति तय करने की आजादी देती है. फिर जब तनाव बढ़ जाता है, तब हैरानी भी जताती है.’
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