भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ अत्याचार का उदाहरण उस दौरान देखने को मिला, जब उग्र भीड़ ने एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या कर उसे पेड़ से बांधकर आग के हवाले कर दिया था. इस घटना में बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं में दहशत है. इस पूरी घटना पर दीपू दास के भाई ने बातचीत की है. 

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न्यूज 18 इंडिया के मुताबिक, अपु दास ने दहशतगर्दी और पुलिस की लाचारी पर बात की है. अपु ने बताया कि उनका परिवार अब बांग्लादेश में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है. उन्होंने भारत आने की इच्छा जाहिर की है. अपु का कहना है कि वो सभी कुछ छोड़कर भारत आना चाहते हैं.  

दीपू के भाई अपु दास ने क्या बताया?अपु से जब सवाल किया गया कि क्या आपको डर लग रहा है, क्या उनका कोई दुश्मन था? इस सवाल के जबाव में अपु ने बताया कि हम सब मिल जुलकर रहते थे. वह हमले के वक्त कहता रहा कि उसने कभी किसी का अपमान नहीं किया. कभी किसी को बुरा नहीं बोला. लेकिन वहां किसी ने उसकी नहीं सुनी. 

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'पुलिस से हम सिर्फ उम्मीदें कर सकते हैं'पुलिस में शिकायत करने के सवाल पर अपु ने बताया कि पुलिस वाले यही कहते रहते हैं कि उन्हें कातिल मिल नहीं रहे हैं. हम सिर्फ पुलिस से उम्मीद कर सकते हैं कि पुलिस हमारी मदद करे. अपु ने बताया कि दीपू का एक छोटा बच्चा है. अगर हमारे पास सुविधा होती तो हम अभी इसी वक्त बांग्लादेश छोड़ना पसंद करते. अगर हमें मदद मिले तो हम भारत जाना चाहेंगे. 

'दीपू के साथ हैवानियत की सारी हदें पार की गईं'अपु ने उस रात हुई घटना के बारे में भी बताया कि दीपू के साथ हैवानियत की सारी हदें पार की गईं. एक उग्र भीड़ ने उसे घेर लिया. वह अपनी जान बचाने के लिए हाथ जोड़ता रहा. चीखता रहा. कहता रहा कि किसी का अपमान उसने नहीं किया. अपने आपको निर्दोष बताता रहा. लेकिन भीड़ ने उसकी एक न सुनी. उपद्रवी उसे जानवरों की तरह घसीटते हुए ले गए. उसे लाठियों और डंडों से पीटा. वह अधमरा हो गया. उसे दरिंदों ने जिंदा जला दिया.  

पुलिस नहीं कर रही गंभीरता से जांचढाका ट्रिब्यून और द डेली स्टार के मुताबिक, दीपू चंद्र दास की हत्या में पुलिस के हाथ अभी भी कुछ नहीं लगा है. स्थानीय पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. अबतक किसी भी मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. दीपू के आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं.