तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में नेवल शिपयार्ड में एक बड़ा प्रोग्राम हुआ, जिसमें पाकिस्तान नेवी को दूसरा मिल्गेम क्लास कॉर्वेट युद्धपोत PNS खैबर सौंप दिया गया. यह जहाज पाकिस्तानी नौसेना को और मजबूत बनाएगा. 20 दिसंबर 2025 को हुए इस समारह में तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने की, जबकि पाकिस्तान नेवी के चीफ एडमिरल नवेद अशरफ भी मौजूद थे.

Continues below advertisement

तुर्किये के मिल्गेम प्रोजेक्ट का हिस्सा है PNS खैबर

यह PNS खैबर बाबर क्लास का दूसरा जहाज है, जो तुर्किये के मिल्गेम प्रोजेक्ट का हिस्सा है. पहला जहाज PNS बाबर मई 2024 में पाकिस्तान को मिल चुका है. डिफेंस सिक्योरिटी एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में पाकिस्तान और तुर्किये की कंपनी ASFAT के बीच चार जहाजों का करार हुआ था. इस करार की कुल कीमत 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 13.44 हजार करोड़ रुपए) है. यानी एक कॉर्वेट की कीमत 3.36 हजार करोड़ रुपए है.

Continues below advertisement

इसमें दो जहाज तुर्की में बनाए गए, जबकि बाकी दो PNS बेदर (2026 में) और PNS तारिक (2027 में) कराची शिपयार्ड में तुर्किये की तकनीकी मदद से बन रहे हैं. इस डील में तकनीक ट्रांसफर भी शामिल है, जिससे पाकिस्तान खुद ऐसे जहाज बनाने की क्षमता विकसित कर सकेगा.

PNS खैबर की खासियतें क्या हैं?

ग्लोबल डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक-

  • लंबाई: करीब 108 मीटर
  • वजन (डिस्प्लेसमेंट): करीब 3,000 टन
  • मैक्जिमम स्पीड: 26 नॉट्स से ज्यादा (करीब 50 किमी/घंटा)
  • रेंज: करीब 3,500 नॉटिकल माइल्स (लगभग 6,500 किमी)
  • चलने की क्षमता: 15 दिन तक बिना रुके
  • प्रोपल्शन: दो डीजल इंजन और एक गैस टरबाइन (CODAG सिस्टम)

इसके अलावा PNS खैबर में हेलिकॉप्टर के लिए हैंगर और फ्लाइट डेक, एडवांस्ड रडार, सोनार और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम भी लगा है. यह जहाज सर्फेस वारफेयर (समुद्र पर लड़ाई), एंटी-सबमरीन वारफेयर (पनडुब्बी से मुकाबला) और एयर डिफेंस में बेहद सक्षम है.

PNS खैबर में कौन से हथियार लगे हैं?

इसमें 76 एमएम की बड़ी तोप, जहाजों और जमीन पर हमला करने के लिए हरबह क्रूज मिसाइलें, 12 सेल वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) से एयर डिफेंस मिसाइलें मार गिराने की क्षमता, लाइटवेट टॉर्पीडो और 35 एमएम और 25 एमएम की क्लोज-इन वेपन सिस्टम समेत कई हथियार हैं.

भारत को इससे डरने की जरूरत है या नहीं?

यह जहाज पाकिस्तान की नौसेना को मजबूत जरूर बनाता है. यह आधुनिक तकनीक वाला मल्टी-रोल जहाज है, जो अरब सागर और हिंद महासागर में पाकिस्तान की मौजूदगी बढ़ाएगा. पाकिस्तान-तुर्किये की रक्षा साझेदारी से पाकिस्तान को नई तकनीक मिल रही है, जो पहले मुख्य रूप से चीन से आती थी. इससे क्षेत्रीय समुद्री संतुलन पर कुछ असर पड़ सकता है. लेकिन भारत को इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है. भारतीय नौसेना बहुत बड़ी और आधुनिक है.

भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर (INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य), कई डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट्स, पनडुब्बियां और मिसाइल बोट्स हैं. भारतीय नौसेना की संख्या, तकनीक और अनुभव पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है. भारत अपनी नौसेना को लगातार मजबूत कर रहा है, जैसे नए डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट्स शामिल करना. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जहाज पाकिस्तान की रक्षा क्षमता बढ़ाएगा, लेकिन भारतीय नौसेना के मुकाबले में बड़ा अंतर बना रहेगा. भारत समुद्री क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखेगा.