तुर्की में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हुई शांति वार्ता बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई. बताया जा रहा है कि वार्ता के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का रवैया इतना अजीब और असहयोगी था कि वहां मौजूद मध्यस्थ कतर और तुर्की के प्रतिनिधि भी हैरान और नाराज हो गए.

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पाकिस्तान पर खराब व्यवहार का आरोपसूत्र ने बताया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधि बातचीत की प्रक्रिया से परिचित नहीं थे, वे बार-बार अतार्किक मुद्दे उठाते रहे और कई मौकों पर असभ्य भाषा का इस्तेमाल किया. सूत्र के अनुसार, 'वार्ता के सभी एजेंडा बिंदु पूरे हो चुके थे, लेकिन जब एक मुद्दे पर चर्चा चल रही थी, तभी पाकिस्तानी पक्ष ने गलत बर्ताव कर बैठक का माहौल बिगाड़ दिया.'

बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी टीम के प्रमुख ने अफगान पक्ष से कहा कि वे उन सभी समूहों को नियंत्रित करें जो पाकिस्तान में हमले करते हैं. यह मांग सुनकर मध्यस्थ भी हैरान रह गए. उन्होंने सवाल किया कैसे कोई देश दूसरे देश से कह सकता है कि वह उसके अपने विद्रोही समूहों को नियंत्रित करे?

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पाकिस्तान पर अफगानिस्तान को धमकी देने का आरोपवार्ता के दौरान पाकिस्तानी पक्ष ने यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान में टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के हमले जारी रहे, तो वे उसका बदला अफगानिस्तान से लेंगे. इस पर अफगान टीम ने जवाब दिया कि पाकिस्तान में सुरक्षा बनाए रखना पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी है, जबकि अफगान सरकार केवल यह सुनिश्चित कर सकती है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमले के लिए न हो.

अफगानिस्तान ने भी रखी शर्तअफगान प्रतिनिधियों ने कहा, हम अपनी धरती से पाकिस्तान पर हमले नहीं होने देंगे, लेकिन बदले में पाकिस्तान को यह गारंटी देनी होगी कि वह हमारे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करेगा और अमेरिकी ड्रोन को अपनी जमीन या हवाई क्षेत्र से अफगानिस्तान में घुसने नहीं देगा. शुरुआत में पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने इस पर सहमति जताई, लेकिन बाद में एक फोन कॉल आने के बाद वे अपने रुख से बदल गए.

तालिबान पर पाक का आरोपपाकिस्तानी सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी तालिबान (TTP) पर नियंत्रण करने या उसे रोकने की कोई ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाई. पाकिस्तान का कहना है कि टीटीपी एक अलग उग्रवादी संगठन है, जो पाकिस्तान के खिलाफ हमले करता है और अफगानिस्तान की जमीन से बिना रोक-टोक काम कर रहा है. इस मुद्दे पर सहमति न बनने के कारण बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई. एक-दूसरे को ठहराया जिम्मेदारअफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हुई वार्ता का उद्देश्य सीमा पर हाल ही में हुई भीषण झड़पों के बाद स्थायी शांति बहाल करना था, जिनमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी. यह 2021 में तालिबान के काबुल में सत्ता में आने के बाद सबसे गंभीर हिंसा मानी जा रही है. दोनों देशों ने 19 अक्टूबर को दोहा में एक संघर्षविराम समझौते पर सहमति जताई थी, लेकिन इसके बाद तुर्की और कतर की मध्यस्थता में इस्तांबुल में हुई दूसरी दौर की बातचीत में कोई साझा समाधान नहीं निकल सका. दोनों पक्षों ने वार्ता विफल होने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया.