लखनऊ: समाजवादी कुनबे में हुआ अब तक का सबसे बड़ा घमासान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ‘शक्ति प्रदर्शन’ के बाद आज उनके तथा उनके चाचा रामगोपाल यादव का निष्कासन रद्द होने के साथ बेहद नाटकीय ढंग से फिलहाल शांत हो गया.

अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद्द किये जाने का ऐलान

एसपी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री आजम खान के हस्तक्षेप पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एसपी से बख्रास्तगी के बाद पहली बार पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव से मुलाकात करने पहुंचे, जिसके उपरान्त मुलायम ने अखिलेश और अपने भाई रामगोपाल यादव का निष्कासन रद्द कर दिया. अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी चाचा और एसपी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने खुद मुख्यमंत्री और रामगोपाल का निष्कासन रद्द किये जाने का ऐलान किया.

शिवपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री समेत पार्टी के सभी शीर्ष नेता एसपी प्रमुख के साथ मिल बैठकर प्रत्याशी तय कर लेंगे. सभी मिलकर 2017 के चुनाव में साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ेंगे और प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे. अब सब ठीक हो गया है.

एसपी मुखिया पर भारी पड़े अखिलेश

एसपी मुखिया द्वारा पार्टी से निष्कासन के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश ने आज अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुलायी थी. वहीं, मुलायम ने भी अपने द्वारा घोषित प्रत्याशियों को बैठक के लिये बुलाया था. जहां मुलायम बैठक में आये ही नहीं. वहीं, अखिलेश की बैठक में 200 से ज्यादा विधायकों के शामिल होने से यह साफ हो गया कि सियासी शह-मात और सत्ता के शक्ति परीक्षण में मुख्यमंत्री अपने पिता एवं एसपी मुखिया पर भारी पड़े.

हालांकि झगड़े और कार्रवाई की नयी जड़ मानी जा रही एसपी के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की आपात बैठक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक रविवार को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में होगी. किसी बड़े ऐलान की सम्भावना के मद्देनजर एसपी के भविष्य के लिये इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लिहाजा अब सारी निगाहें इस पर टिक गयी हैं.

दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की और मारपीट

उधर, मुलायम द्वारा अपने द्वारा घोषित पार्टी उम्मीदवारों की बैठक का समय बार-बार बढ़ाया गया. बैठक का पूर्व निर्धारित समय पूर्वाहन साढ़े 10 बजे था, मगर एसपी प्रमुख के बैठक में ना पहुंच पाने के कारण उसका समय अपराहन एक बजे कर दिया गया. इस बीच, एसपी दफ्तर के बाहर अखिलेश और शिवपाल के समर्थक एक-दूसरे से भिड़ गये. दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की और मारपीट हुई. पुलिस ने बमुश्किल स्थिति पर काबू पाया.

अखिलेश और उनके हिमायती चाचा रामगोपाल यादव के कल एसपी मुखिया द्वारा पार्टी से बख्रास्त किये जाने के बाद शुरू हुआ बेहद नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री आवास पर जारी रहा. बड़ी संख्या में अखिलेश के समर्थक उनके आवास के बाहर एकत्र होकर उनके समर्थन और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के विरोध में नारेबाजी करते दिखे.

मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों का जमावड़ा लगने के बाद मंत्री आजम खां ने सुलह-समझौते की कोशिश शुरू की. पहले उन्होंने एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव के घर जाकर उनसे मुलाकात की और बाद में मुख्यमंत्री आवास जाकर उनसे मिले.

जीतकर दिखाएंगे साल 2017 का विधानसभा चुनाव

पल-पल बदलते घटनाक्रम के बीच थोड़ी ही देर बाद अखिलेश आजम खां के साथ मुलायम के घर गये और बंद कमरे में बैठक की. बैठक के दौरान अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी चाचा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी मुलायम के घर पहुंचे. अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक अखिलेश बैठक में बेहद भावुक हो गये और कहा कि वह नेताजी (मुलायम)से अलग नहीं हैं और साल 2017 का विधानसभा चुनाव जीतकर दिखाएंगे.

एसपी में जारी उठापटक से दुखी राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और एसपी प्रमुख के समधी लालू प्रसाद ने भी मुलायम को टेलीफोन करके इस संकट को एसपी के व्यापक हित में जल्द सुलझाने की गुजारिश की थी. गौरतलब है कि सत्तारूढ़ समाजवादी कुनबे में मचे घमासान के बीच एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कल बेहद सख्त कदम उठाते हुए अपने मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव और अपने भाई पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिये निष्कासित कर दिया.

रामगोपाल के कृत्य में अखिलेश का भी समर्थन

एसपी प्रमुख ने मुख्यमंत्री अखिलेश और महासचिव रामगोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के महज पौन घंटे के अंदर प्रेस कांफ्रेंस करके दोनों को पार्टी से निकालने का फरमान सुना दिया था. मुलायम ने रामगोपाल द्वारा आगामी एक जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने को अवैध करार देते हुए कहा था कि इससे पार्टी को नुकसान हुआ है और चूंकि रामगोपाल के कृत्य में अखिलेश का भी समर्थन है, इसलिये उन्हें भी पार्टी से छह साल के लिये निकाल दिया गया है.