कानपुर: विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कानपुर प्रदूषण के मामले में अव्वल रहा है. कभी कानपुर की पहचान उद्योग नगरी के रूप में होती थी ,लेकिन अब कानपुर प्रदूषण के लिए जाना जा रहा है. WHO की रिपोर्ट ने सरकार के उन दावों की पोल खोल दी है जो ''ग्रीन कानपुर क्लीन कानपुर'' की बात करते थे. रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया है,स्वच्छता की बात करने वाले अधिकारी अब गोलमोल बाते कर रहे हैं.
कानपुर में बढ़ रहे हैं सांस के रोगी प्रदूषण की वजह से सांस लेना मुश्किल हो गया है. वातावरण में जहर घुलने की वजह से बच्चों और बुजुर्गो को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है. इसकी वजह से सांस के रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. कानपुर के लिए सबसे बड़ा अभिशाप एयर पॉल्यूशन है. जिनमें वाहनों से निकलने वाला धुंआ ,फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ ,जलते हुए कूड़े के ढेर एयर पॉल्यूशन की सबसे बड़ी वजह हैं.
इस सम्बन्ध में जब एआरटीओ आदित्य त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वर्तमान में शहर में जिन गाड़ियों का पंजीकरण हो रहा है वो वाहन 404 की मानक को लेकर ही पंजीकृत की जा रही हैं. इस स्थिति में प्रदूषण का बहुत ही मिनीमाइज एवरेज है. वर्तमान में पंजीकृत हुए वाहनों में प्रदूषण बहुत ही कम है. रही बात जो पुरानी गाड़िया हैं उनका समय-समय पर प्रदूषण चेक कराया जाता है, जब वाहन स्वामी प्रदूषण प्रमाण पत्र लेकर आता है तब ही उसे फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है.
किए जा रहे हैं प्रदूषण को कम करने के प्रयास वहीं नगर आयुक्त अविनाश सिंह का कहना है कि कानपुर प्रदूषण में प्रथम स्थान पर है. इसकी जानकारी मुझे किसी भी समाचार पत्र और अन्य तरह से नहीं मिली है. सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के द्वारा सन 2011 और 2012 में पूरे देश के शहरों का विस्तृत सर्वे कराया गया था. जिसमें शहरों की सूची तैयार कराई गई थी, सूची में शामिल शहरों के पॉल्यूशन को दूर करने के लिए वर्किंग प्लान बनाया था. जिन विभागों के द्वारा इस काम को किया जाना है वो प्लान के आधार पर काम कर रहे हैं. इसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.