इलाहाबाद: यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ओबीसी की 17 जातियों को एससी कैटेगरी में शामिल कर उन्हें लुभाने की अखिलेश सरकार की कोशिशों को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है.
एससी कैटेगरी का जाति प्रमाण पत्र न करें जारी
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इन पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने के अखिलेश यादव सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है और यूपी सरकार को यह आदेश दिया है कि वह अदालत का फैसला आने तक इन जातियों को एससी कैटेगरी का जाति प्रमाण पत्र यानी कास्ट सर्टिफिकेट जारी न करे.
अदालत ने यूपी के समाज कल्याण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री को भी यह आदेश दिया है कि वह हर जिले के डीएम को इस बात का सर्कुलर भी जारी कर दे कि अदालत का फैसला आने तक वह प्रभावित होने वाले किसी भी शख्स को नया सर्टिफिकेट जारी न करें.
PIL पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश
चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने अखिलेश सरकार के फैसले पर रोक गोरखपुर की सामजिक संस्था डा० भीमराव अम्बेडकर ग्रंथालय सेवा समिति की पीआईएल पर सुनवाई के बाद दिया है.
पीआईएल में कहा गया था कि अखिलेश सरकार ने पिछले साल बाइस दिसंबर को जिस जीओ के जरिये सत्रह ओबीसी जातियों को एससी में शामिल किया था, वह फैसला लेने का उसे कोई अधिकार ही नहीं है, क्योंकि नियम के मुताबिक़ कोई भी सरकार किन्ही जातियों को एससी कैटेगरी में न तो शामिल कर सकती है और न ही उसे बाहर कर सकती है.
वोटरों को लुभाने के लिए फैसला
याचिकाकर्ता की तरफ से अदालत में दलील दी गई कि जातियों को एससी में शामिल करने या बाहर निकालने का अधिकार सिर्फ संसद में क़ानून बनाकर ही किया जा सकता है. अर्जी में यह भी कहा गया कि अखिलेश सरकार ने इन जातियों के वोटरों को लुभाने के लिए यह फैसला विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया था.
अर्जी में यह भी कहा गया था कि साल 2005 में मुलायम सिंह यादव सरकार ने भी कई जातियों को एससी कैटेगरी में शामिल किया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस फैसले को रद्द कर दिया था.
अखिलेश यादव सरकार को बड़ा झटका
अखिलेश सरकार ने ओबीसी की जिन 17 जातियों को एससी में शामिल करने का फैसला किया था, उनमे कहार- कुम्हार, मांझी, गोंड, प्रजापति, राजभर, निषाद और मल्लाह भी शामिल हैं. अदालत इस मामले में नौ फरवरी को फिर से सुनवाई करेगी. अदालत के इस फैसले से यूपी की अखिलेश यादव सरकार को बड़ा झटका लगा है.