लखनऊ: कहने को तो उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक है पर उसका शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा प्रदर्शन अप्रत्याशित है. नीति आयोग ने 2016-17 के आंकड़ों के आधार पर इस इंडेक्स को तैयार किया है. इसमें स्कूली विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के मूल्यांकन पर जोर दिया गया है. यूपी के शर्मनाक प्रदर्शन पर विपक्ष सरकार पर हमले बोल रहा है और सत्ता पक्ष इसे योगी सरकार के आने के पूर्व की स्थितियां बताकर पल्ला झाड़ रहा है. एबीपी न्यूज़ ने जब कुछ स्कूल के हालातों का जायजा लिया तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई.

1- लखनऊ के मोहनलाल गंज का फुलवरिया प्राथमिक स्कूल

सड़क से करीब पांच फीट ढलान में बनाये गए स्कूल में घुसने के रास्ते में बड़ी-बड़ी घास जमा है. बच्चों को इसी घास और कीचड़ से होकर गुजारकर क्लास तक पहुंचना होता है. भीतर जाने पर दो क्लास हैं, जिनमें कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. कुल दो टीचर का स्टाफ हैं, जिनमें से एक छुट्टी पर है. एक ही टीचर दोनों क्लास में पढ़ाई करवा रही है. जिस क्लास के बच्चे ज्यादा शोर करते हैं टीचर उधर भागती हैं. पांचवी के एक बच्चे की इंग्लिश कॉपी देखने पर समझ आता है कि उसे जल्दी ही बारह महीनों की स्पेलिंग्स लिखाई गई हैं. मगर चार महीनों की स्पेलिंग लिखने को कहा गया तो सारी गलत थीं. मौके पर मौजूद टीचर पूजा मिश्रा से कॉपी जंचवाई गई तो उन्होंने भी स्पेलिंग्स गलत होने की बात स्वीकार की. टीचर से बात की गई तो वो स्कूल और शिक्षा विभाग की तमाम कमियों के पुलिंदा खोलकर बैठ गईं.

2- उन्नाव का जबरेला प्राथमिक विद्यालय

नीति आयोग ने अपनी रैंकिंग में जिन बिंदुओं को शामिल किया है, उनमें स्कूल में पढ़ने और पढ़ाने वालों की अटेंडेंस भी है. यहां पर कुल 121 बच्चों का दाखिला है, जबकि सिर्फ 71 बच्चे ही स्कूल आये हैं. ऐसा तब है जब मौसम खुला है और दूर-दूर तक बारिश के आसार नहीं हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों को बिठाने के लिए कुर्सी-मेज तक नहीं हैं. सभी तात-पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।.ऐसा तब है जब उन्नाव का यह स्कूल ब्लॉक के टॉप ट्वेंटी स्कूलों में शामिल है. पांचवीं की क्लास में एक के बाद एक चार बच्चों से पूछा गया कि उनके सामने जो किताब रखी है, उससे वो क्या पढ़ रहे हैं तो वो नहीं बता पाए. टीचर मोनी गुप्ता ने बताया कि छात्र संख्या के हिसाब से जितना स्टाफ होना चाहिए, उतना नहीं है. इसके अलावा हर रोज कोई न कोई रिपोर्ट विभाग को भेजनी होती है, जिसमें भी काफी वक्त देना होता है.

3- बाराबंकी के जैसाना प्राथमिक विद्यालय

नियम है कि सभी सरकारी स्कूलों में बाउंड्रीवाल अनिवार्य रूप से बनाई जाए, लेकिन यहां खुला मैदान है. बच्चों के लिए बनाए गए टॉयलेट भी ध्वस्त हैं, जो दूसरे नए बने हैं उन पर ताला पड़ा हुआ है. इक्का-दुक्का बच्चों को छोड़कर सभी क्लास के बाहर मैदान में खेल रहे हैं. 66 बच्चों का यहां दाखिला है, जबकि सिर्फ 21 यानी एक तिहाई बच्चे ही स्कूल आये हैं. प्रिंसिपल ममता शुक्ला कहती हैं कि आसपास कई प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं, जिस कारण यहां बच्चे नहीं आते हैं.

बड़े राज्यों के मामले में, इस रिपोर्ट में केरल का स्कोर 76.6 प्रतिशत है और उत्तर प्रदेश का स्कोर 36.4 प्रतिशत है. इस रिपोर्ट का नाम ‘द सक्सेस आफ आवर स्कूल्स-स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स’ (एसईक्यूआई) है. इसे नीति आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्व बैंक ने संयुक्त रूप से जारी किया है. रिपोर्ट स्कूल जाने वाले बच्चों के सीखने के परिणामों पर आधारित है.

यूपी: NRC लागू होने की सुगबुगाहट तेज़, लखनऊ पुलिस ने अवैध घुसपैठियों को पकड़ने के लिए चलाया अभियान

लखनऊ-दिल्ली के बीच शुरू हुई देश की पहली प्राइवेट ट्रेन Tejas Express- जानिए स्टॉपेज, किराए से लेकर सबकुछ

दिल्ली: गोली मारने का लाइव वीडियो दिखाकर 'सद्दाम' ने करोड़ों वसूले, मेरठ में मुठभेड़ के दौरान हुआ था गिरफ्तार