वाराणसी: वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्र मौजूदा विधानसभा चुनाव में शहर दक्षिणी से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. उनका मानना है कि वह कोई विधानसभा चुनाव नहीं, बल्कि वाराणसी की जनता के प्रतिनिधि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार के खिलाफ लड़ रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तंग आ चुकी है वाराणसी की जनता

डॉ. राजेश वाराणसी में बीजेपी का अभेद्य किला मानी जाने वाली विधानसभा सीट शहर दक्षिणी से कांग्रेस-एसपी गठबंधन के उम्मीदवार हैं. उनके खिलाफ बीजेपी के नीलकंठ तिवारी और बीएसपी के राकेश त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं. राजेश का कहना है कि वाराणसी की जनता अपने सांसद, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तंग आ चुकी है और उनका अहंकार चूर करने के लिए जनता के कहने पर ही वह विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

राजेश ने कहा, "आजादी के बाद पहली बार वाराणसी का सांसद प्रधानमंत्री बना है. फिर ऐसा कब होगा, कहना कठिन है. वाराणसी के लोगों ने बड़ी उम्मीद के साथ नरेंद्र मोदी को जिताया था. उम्मीद थी कि वह प्रधानमंत्री बनकर यहां के लिए कुछ करेंगे. लेकिन तीन साल होने को हैं और वाराणसी के लोग आज ठगा-सा महसूस कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "उन्होंने युवाओं, बुनकरों को रोजगार का वादा किया गया था. शहर को क्योटो बनाया जा रहा था, लेकिन शहर की सड़कें खुदी हुई हैं, चारों तरफ गंदगी है, गंगा गंदी है, घाटों पर कचरा है, परिवहन व्यवस्था चौपट है, शहर में सांस लेना मुश्किल है और स्थानीय सांसद जनता को सिर्फ भाषण सुना रहे हैं."

भाषण के बदले कुछ काम कर के दिखाते प्रधानमंत्री

तो क्या प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी के लिए कुछ नहीं किया? अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य राजेश ने कहा, "किया होता तो आज तीन दिन बनारस की सड़कों पर खाक क्यों छानते? प्रधानमंत्री का अपना स्तर होता है, बहुत बड़ा पद होता है, बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन आज वह शहर में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं. इस तरह की सभाएं यहां नगर निगम चुनाव में होती हैं. बनारस के लोग तंग आ चुके हैं, उनकी इन हरकतों से. बेहतर होता प्रधानमंत्री भाषण के बदले कुछ काम कर के दिखाते."

वाराणसी के लोग यह भी कहते हैं कि राजेश मिश्रा ने सांसद रहते कोई काम नहीं किया, सिर्फ आश्वासन देते रहे? उन्होंने कहा, "यह बात विरोधियों की उड़ाई हुई है. मैं न गुंडा हूं, न भ्रष्ट हूं, आजतक किसी भी तरह का आरोप मेरे ऊपर नहीं लगा है. विरोधियों के पास मेरे खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं है, आखिर कुछ तो उन्हें चाहिए. मैं क्या हूं, मैंने क्या किया है, वाराणसी की जनता जानती है और इसलिए लोग आज मेरे साथ हैं."

राजेश ने अपने काम गिनाने शुरू किए, "वाराणसी को पर्यटन हब बनाने की मेरी योजना थी. इसलिए वाराणसी एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवाया. रेलवे स्टेशन का विस्तार कराया. बीएचयू में ट्रामा सेंटर मैंने पास कराया, उसके लिए केंद्र से पैसा मंजूर कराया, जिसका उद्घाटन आज मोदी ने किया है. एम्स की बात फाइनल हो गई थी, लेकिन मोदी सरकार ने उसे गोरखपुर भेज दिया. शहर में जो दो-चार ओवर ब्रिज हैं, मैंने बनवाए हैं लेकिन 2009 के चुनाव में विरोधियों ने मुख्तार अंसारी को खड़ा कर मुझे हराने की साजिश रची, मैं चुनाव हार गया, वाराणसी का विकास रुक गया."

वाराणसी का हृदयस्थल है शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र

विधानसभा चुनाव जीतने के बाद क्या करेंगे? बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष राजेश ने कहा, "चुनाव बाद राज्य में कांग्रेस-एसपी की सरकार बन रही है और वाराणसी के विकास को वापस पटरी पर लाऊंगा." शहर दक्षिणी को लेकर खास योजना, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र वाराणसी का हृदयस्थल है. सभी गंगा घाट, प्रमुख मंदिर इसी इलाके में हैं. बस्ती बहुत घनी है, तंग गलियां हैं. साफ-सफाई, कनेक्टिविटी यहां की प्रमुख समस्याएं हैं. पार्किंग की समस्या है. ये समस्याएं दूर हो जाएं तो गंगा किनारे पर्यटन बढ़ेगा और लोगों को रोजगार मिलेगा. मैं इसके लिए काम करूंगा."

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने पिंडरा के विधायक अजय राय को टिकट दिया था. राजेश को विधानसभा में मौका मिला है. पार्टी उन्हें अब कमतर तो नहीं आंकती? राजेश कहते हैं, "यह कोई मामूली विधानसभा चुनाव नहीं है. यह एक अहंकारी प्रधानमंत्री के खिलाफ लड़ा जा रहा चुनाव है, खासतौर से वाराणसी में. यहां हार बीजेपी उम्मीदवारों की नहीं, मोदी की होनी है. मेरे सामने खड़ा बीजेपी उम्मीदवार छोटे भाई की तरह है, इज्जत करता है मेरी, लेकिन अब मोदी के अहंकार का क्या करेंगे. उसे तो चूर होना है न."

राजेश आगे कहते हैं, "रावण भी अहंकारी था, लेकिन उसके अहंकार के पीछे सकारात्मक सोच थी, मुक्ति की. लेकिन मोदी का अहंकार नकारात्मक और मूर्खतापूर्ण है. मेरी तो चुनाव लड़ने की इच्छा ही नहीं थी, लेकिन राहुल (गांधी) जी ने और वाराणसी की जनता ने मोदी को हराने के लिए मुझे खड़ा किया है. मैं तो एक मामूली कार्यकर्ता हूं. जनता और पार्टी का आदेश मेरे लिए सर्वोपरि है."