लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव चिन्ह-'साइकिल' की रेस जीतने के बाद अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक तरफ जहां कांग्रेस के साथ गठबंधन की कवायद में जुट गए हैं वहीं दूसरी ओर यह देखना दिलचस्प होगा कि वह शिवपाल यादव खेमे के दिग्गज नेताओं को कैसे साधेंगें.
चुनाव के दौरान भीतरघात किए जाने का डर समाजवादी पार्टी के सूत्रों का दावा है कि एसपी के दिग्गज नेता शिवपाल यादव के करीबी नेताओं से निपटना अखिलेश के लिए चुनौती साबित हो सकती है. उन्हें शिवपाल खेमे की ओर से चुनाव के दौरान भीतरघात किए जाने का डर सता रहा है. अखिलेश खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पहले ही काफी समय निकल चुका है. हम लोगों को 'साइकिल' चिन्ह मिलने का पूरा भरोसा था. अब जल्दी ही प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी. मुख्यमंत्री अखिलेश और कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार के लिए निकलेंगे.
शिवपाल खेमे से निपटना अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बकौल एसपी नेता, "अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवपाल खेमे से निपटना है. उनके साथ कई वरिष्ठ नेता हैं. यदि ये लोग साथ नहीं आते हैं तो भीतरघात की गुंजाइश हमेशा ही बनी रहेगी. ऐसी स्थिति में कई जिलों में पार्टी को अपने लोगों से ही जूझना पड़ेगा. हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जी इस चुनौती का हल भी समय रहते निकाल लेंगे." एसपी नेता की माने तो अखिलेश जल्द ही उम्मीदवारों की नई सूची जारी कर सकते हैं. इसमें शिवपाल के चहेतों को टिकट दिया जा सकता है ताकि उनके विरोध को दबाया जा सके. 'साइकिल' चिन्ह अखिलेश के हाथ में चले जाने के बाद मुलायम खेमे के शिवपाल यादव, गायत्री प्रजापति, ओम प्रकाश सिंह, शादाब फातिमा, आशु मलिक, नारद राय, अंबिका चौधरी और उनके समर्थक डेढ़ दर्जन विधायकों के सामने अजीबोगरीब हालत पैदा हो गए हैं.
अब राकेश को साइकिल और एसपी के बिना ही पड़ेगा जूझना समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों की माने तो इनमें से कई नेता तो बीजेपी के संपर्क में हैं. अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवपाल खेमे से निपटने की ही है. केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को अखिलेश समर्थक मंत्री अरविंद सिंह गोप का टिकट काट कर दिया गया था. अब राकेश को साइकिल और एसपी के बिना ही जूझना पड़ेगा. लखनऊ कैंट से एसपी की घोषित प्रत्याशी और मुलायम की बहू अपर्णा यादव के लिए अब खुद को एसपी प्रत्याशी घोषित करवाना होगा. अखिलेश यादव ने लखनऊ कैंट सीट पर उनका नाम अपनी सूची में नहीं रखा है, और गठजोड़ होने पर कांग्रेस अपनी जीती सीट नहीं छोड़ेगी. गायत्री प्रजापति अमेठी से चुनाव जीते थे. अब कांग्रेस से गठजोड़ होने पर उनकी सीट पर खतरा है. इन सबके लिए दो ही सूरत हैं या तो एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश उनको टिकट दे दें नहीं तो उन्हें दूसरी पार्टी से ही चुनाव लड़ना होगा.
अखिलेश खेमे की ओर से पेश किए गए 4716 हलफनामे गौरतलब है कि एसपी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर दावेदारी के लिए अखिलेश खेमे की ओर से 4716 हलफनामे पेश किए गए. अखिलेश के समर्थन में 228 में से 205 विधायकों, 68 में से 56 विधान परिषद सदस्यों ने अखिलेश के लिए शपथ पत्र दिए. इसके अलावा 24 (लोकसभा व राज्यसभा ) सांसदों में से 15 सांसदों, 46 में से 28 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों, 5731 में से 4400 प्रतिनिधियों ने अखिलेश के समर्थन में हलफनामा दिया.