प्रयागराज: कानपुर के दलित प्रोफ़ेसर के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर उन्हें परेशान किये जाने के मामले में धनबाद आईआईटी के डायरेक्टर डॉ राजीव शेखर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा डॉ राजीव शेखर के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश के अमल होने पर रोक लगा दी है. अदालत ने इस मामले में एमएचआरडी और कानपुर आईआईटी से जवाब तलब भी किया है. दोनों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी गई है. अदालत में होने वाली अगली सुनवाई तक एमएचआरडी व कानपुर आईआईटी अब डॉ राजीव शेखर के खिलाफ इस मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा.
वैसे कानपुर आईआईटी के वकील ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस बात की अंडरटेकिंग दी कि राष्ट्रपति की मंजूरी व हाईकोर्ट से निर्देश लिए बिना उसकी तरफ से डॉ राजीव शेखर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार की सिंगल बेंच ने धनबाद आईआईटी के डायरेक्टर डॉ राजीव शेखर की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया. याचिकाकर्ता की तरफ से उनके वकील अवनीश त्रिपाठी ने अदालत में बहस की. इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में नेशनल एससी एसटी कमीशन द्वारा डॉ राजीव शेखर व तीन अन्य प्रोफेसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने के आदेश पर भी रोक लगा चुका है.
डा. सुब्रमण्यम सडरेला ने की थी शिकायत
बता दें कि कानपुर आईआईटी के एयरोस्पेस डिपार्टमेंट में पिछले साल जनवरी महीने में डा. सुब्रमण्यम सडरेला नाम के एक दलित टीचर ने असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के तौर पर ज्वाइन किया था. नौ मार्च 2018 को उन्होंने शिकायत की थी कि डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर डॉ राजीव शेखर, प्रो० ईशान शर्मा, प्रो० सीएस उपाध्याय और प्रो० संजय मित्तल उन पर जातिसूचक टिप्पणी कर उनका मजाक उड़ाते हैं.
डॉ सडरेला ने संस्थान के निदेशक के साथ ही इसकी शिकायत नेशनल एससी कमीशन से शिकायत की थी. इस बीच डॉ राजीव शेखर धनबाद आईआईटी के डायरेक्टर नियुक्त हो गए. कमीशन ने तेरह अप्रैल को एक आदेश जारी कर आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर को चारों आरोपी प्रोफेसरों को सस्पेंड करने, उन्हें प्रशासनिक पदों से हटाए जाने और उनके खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई किये जाने को कहा था. कमीशन के इस आदेश पर हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी थी.
इस मामले में आईआईटी कानपुर ने बाकी तीन प्रोफेसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की. उन्हें डिमोट किया गया और साथ ही कई दूसरी कार्रवाई भी की गई. डॉ राजीव शेखर के धनबाद आईआईटी का डायरेक्टर बन जाने की वजह से कानपुर आईआईटी सीधे तौर पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सका और उसने एमएचआरडी से अनुमति मांगी. डॉ राजीव शेखर को भी डिमोट कर रीडर बनाए जाने दूसरी सिफारिशों पर एमएचआरडी ने पिछले महीने मंजूरी दे दी.
डायरेक्टर डॉ राजीव त्रिपाठी ने इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और यह दलील दी कि एमएचआरडी उनका एप्वाइंटिंग अथॉरिटी नहीं है, इसलिए उसे कार्रवाई की मंजूरी दिए जाने का कोई हक़ नहीं है. यह हक़ सिर्फ भारत के राष्ट्रपति को है. अदालत ने इस दलील को मंजूर करते हुए किसी तरह की कार्रवाई पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है.
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