प्रयागराज: कोरोना वायरस की महामारी के बीच तब्लीगी जमात का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला यूपी के मैनपुरी जिले का है. आरोप है कि क्वारंटीन की मियाद पूरी होने के बाद भी यहां पिछले तकरीबन पौने महीने से तमाम तब्लीगी जमात के सदस्यों को बेवजह रोककर रखा गया है और उन्हें घर नहीं जाने दिया जा रहा है.
इस मामले में यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चौंकाने वाला खुलासा किया है. यूपी सरकार ने कहा है कि अप्रैल महीने में 30 ऐसे जमाती उनके संपर्क में आए लोग थे, जिनके परिवार के लोग क्वारंटीन की अवधि पूरी होने के बावजूद उन्हें अपने साथ ले जाने या फिर घर में रखने को तैयार नहीं थे.
परिवार वालों के इन्कार के बाद इन जमातियों ने लिंचिंग की आशंका जताते हुए सरकार से खुद को संरक्षण दिए जाने की गुहार लगाई थी. इस पर इन 30 लोगों को सुरक्षित जगह पर शरण दी गई थी.
वहां सरकार की तरफ से ही इनके खाने-पीने का इंतजाम किया गया था. इसके बाद इनके परिवार वालों से मुलाकात कर उनकी काउंसलिंग कराई गई और अब सभी को परिवार वालों के साथ उनके घर भेज दिया गया है.
यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि इन जमातियों व उनके संपर्क में आए सभी 30 लोग अब अपने घरों को जा चुके हैं. पूरे मैनपुरी जनपद में किसी को भी उसकी मर्जी के बिना क्वारंटीन की अवधि पूरी होने पर सरकार व प्रशासन की तरफ से नहीं रोका गया है.
गौरतलब है कि, मैनपुरी के शाद अनवर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि तब्लीगी जमात में शामिल या उनके संपर्क में आए तमाम लोगों को मैनपुरी के क्वारंटीन सेंटर्स में मियाद पूरी होने के बावजूद जबरन रोककर रखा गया है और उन्हें घर नहीं जाने दिया जा रहा है.
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई. यूपी सरकार की तरफ से दलील दी गई कि सिर्फ 30 ऐसे लोगों को रोका गया था, जिनके परिवार वाले उन्हें साथ ले जाने को तैयार नहीं थे और उन्होंने अपने साथ लिंचिंग की आशंका जताते हुए खुद को ठिकाना व सुरक्षा देने की गुहार लगाई थी.
याचिकाकर्ता शाद अनवर ने सरकार के इस दावे को सही माना, लेकिन यह आरोप लगाया कि अब भी 100 से ज्यादा लोगों को नहीं छोड़ा गया है. मामले की सुनवाई कर रही डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता से इन सभी लोगों के नाम पते की लिस्ट देने को कहा है, ताकि सरकार से जवाब मांगा जा सके. अदालत इस मामले में 27 मई को फिर से सुनवाई करेगी.