कानपुर: केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने साफ़ संकेत दिए हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर किसी तरह का समझौता नहीं होगा. अपना दल कानपुर बुंदेलखंड में भी हिस्सेदारी के मूड में दिख रही है, जबकि कानपुर बुंदेलखंड बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का पार्टी कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया.

बुधवार को अनुप्रिया पटेल ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने पार्टी के विस्तार करने पर जोर दिया. इसके साथ ही आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने की बात कही. 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल और बीजेपी के बीच दो सीटों पर समझौता हुआ था, जिसमें प्रतापगढ़ और मिर्जापुर की लोकसभा सीटे बटवारे में मिली थी. लेकिन अपना दल (एस) का उत्तर प्रदेश में समय के साथ कद भी बढ़ गया है.

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा जल्द ही बीजेपी के साथ सीटों के बंटवारे पर चर्चा की जाएगी. ताकि समय रहते उस संसदीय सीट पर रणनीति बनाकर तैयारी की जा सके. दरअसल अनुप्रिया पटेल इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी से 5 से 8 लोकसभा सीटे मांग सकती हैं.

2014 के लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 10 सीटों में से 09 सीटे बीजेपी के खाते में आई थी. इसके साथ ही 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 52 विधानसभा में से 47 सीटों पर कब्ज़ा किया था. जिसकी वजह से कानपुर बुंदेलखंड बीजेपी का गढ़ बन चुका है और बीजेपी किसी भी हालत में इस किले को बचाने की फ़िराक में है. इस स्थिति में अनुप्रिया पटेल कानपुर बुंदेलखंड की दो लोकसभा सीटो की मांग कर रही है, जिसमें फ़तेहपुर संसदीय सीट और कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा शामिल है.

दरअसल फतेहपुर और अकबरपुर संसदीय क्षेत्र कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र है. जिसमें से अपना दल (एस) विधानसभा चुनाव में फतेहपुर की जहानाबाद विधानसभा सीट पर भारी मतों से जीत हासिल की थी. जो वर्तमान में जय कुमार जैकी जेल मंत्री है.

जबकी फतेहपुर की संसदीय सीट पर 2014 में साध्वी निरंजन ज्योति ने जीत हासिल की थी, जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. वहीं कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा से वर्तमान में देवेन्द्र सिंह भोले सांसद है. इन दो सीटों पर बंटवारे को लेकर बीजेपी किसी भी हालत में तैयार नहीं होगी. अनुप्रिया पटेल अपना पक्ष बीजेपी के सामने रख चुकी हैं लेकिन इस आपसी सहमती नहीं बनी है.