नई दिल्लीः भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार के दिन 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. अटल बिहारी वाजपेयी निधन के बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है. अटल बिहारी वाजपेयी के साथियों और विरोधियों दोनों ने ही उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. देश के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का निधन एक अपूर्णीय क्षति है. कल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया और बंदूकों की सलामी के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान यमुना के किनारे राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर हजारों लोग मौजूद थे.
अटल बिहारी वाजपेयी को देशभर में कई लोग अपना आदर्श मानते हैं. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी का उज्जैन से खास रिश्ता रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी के साथियों से जानिए उज्जैन से उनका 'अटल रिश्ता'
भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन से लेकर जवानी और बुढ़ापे तक का पूरा सफ़र देखा है. उज्जैन में जहां बाल्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना समय बिताया. वहीं जवानी में उन्होंने ओज और देशभक्ति से परिपूर्ण कविता पाठ कर युवाओं को एक नई दिशा दी, इतना ही नहीं जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा तो उज्जैन से ही जनसंघ को नई दिशा दी. सत्ता में आने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी ने उज्जैन को हमेशा याद रखा.
उज्जैन के इंदिरा नगर में रहने वाले 94 वर्षीय छगनलाल की आंखें नम हैं. अपने सहपाठी से जुड़ी दुख भरी खबर सुनने के बाद उन्हें बड़ा सदमा लगा है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ छगनलाल व्यास ने बड़नगर के 'एंग्लो वर्नाकुलर मिडिल स्कूल' में कक्षा 5वीं तक पढ़ाई की थी. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण मुरारी वाजपेयी उसी स्कूल में हेडमास्टर थे. क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी के पिताजी हेडमास्टर थे, इसलिए भी अटल बिहारी वाजपेयी सभी विद्यार्थियों में आकर्षण का केंद्र रहते थे.
छगनलाल व्यास बताते हैं कि पढ़ने में होशियार अटल शांत और गंभीर स्वभाव के थे. जब भी कोई शरारत की बात होती, तो अटल बिहारी वाजपेयी दो कदम पीछे हट जाते थे. उनके पिताजी को ग्वालियर से स्थानांतरित करके बड़नगर भेजा गया था. छगनलाल जी के मुताबिक ग्वालियर स्टेट के समय से ही बड़नगर को काफी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता था. इसलिए बड़नगर में ऐसे अधिकारियों और शिक्षकों की पोस्टिंग की जाती थी जो काफी मेहनती हों. इसीलिए कृष्ण मुरारी वाजपेयी को हेडमास्टर के रूप में बड़नगर में पदस्थ किया गया था.
मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बाबूलाल जैन के मुताबिक 1955 में माधव कॉलेज के एक आयोजन पर अटल बिहारी वाजपेयी को कविता पाठ करने के लिए बुलाया गया था, उस समय उन्होंने वीर रस की एक कविता सुनाई थी. इससे उनकी छवि एक बड़े कवि के रूप में उभरी थी.
पूर्व मंत्री जैन के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी का उज्जैन की राजनीति में भी सीधा हाथ था. विधायक के रुप में जैन को मैदान में उतारने वाले भी अटल बिहारी वाजपेयी जी ही थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1974 में उज्जैन में जनसंघ की बड़ी बैठक में हिस्सा लिया था. इस दौरान वो करीब 1 सप्ताह तक उज्जैन में ही रहे. इसके बाद भी कई बार अटल बिहारी वाजपेयी उज्जैन गए.
जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे उस समय विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति शिवमंगल सिंह सुमन के बुलावे पर उज्जैन आए. जैन बताते हैं, "अटल बिहारी वाजपेयी भगवान महाकाल के अनन्य भक्त थे और जब भी उज्जैन आते थे, भगवान महाकाल के दरबार में जरूर जाते थे. इस प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उज्जैन ने बचपन ही नहीं बल्कि जवानी और बुढ़ापा भी देखा है.
इसके साथ ही जैन ने कहा, "वाजपेयी जी के निधन से केवल उज्जैन की जनता ही नहीं बल्कि प्रकृति और यह की भूमि भी निश्चित रूप से दुखी है, इसी भूमि पर अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना बचपन गुजारा और इसी भूमि पर कर्म भूमि के रुप में भी काम किया है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की छवि ऐसे राजनेता की थी कि विरोधी भी कभी उनकी बुराई नहीं करते थे."