इलाहाबाद: योगीराज में हुई प्राइमरी टीचर्स की पहली बड़ी भर्ती पर मचा कोहराम शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद पूरी प्रक्रिया को रद्द कर नये सिरे से भर्ती किये जाने या पुराने कट ऑफ के नियम को लागू कर सभी को नौकरी दिए जाने की मांग को लेकर यूपी के अलग-अलग हिस्सों से आए हजारों अभ्यर्थियों ने आज से इलाहाबाद में बेमियादी अनशन शुरू कर दिया है. परीक्षा नियामक प्राधिकारी यानी एग्जामिनेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी के दफ्तर पर आज से शुरू हुए बेमियादी अनशन में शामिल अभ्यर्थी यूपी की योगी सरकार के खिलाफ जमकर आग उगल रहे हैं और उस पर युवाओं को बेरोजगार कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किये जाने का गंभीर आरोप लगा रहे हैं.

अनशन के पहले दिन एक अभ्यर्थी ने प्रदर्शन स्थल पर लगे पेड़ पर चढ़कर जान देने की भी कोशिश की, जिससे वहां काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही. अनशन में बड़ी संख्या में महिला अभ्यर्थी भी शामिल हैं. अनशन करने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि इंसाफ मिलने तक अब वह अपना आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे. योगी सरकार ने गड़बड़ी के सबूत मिलने पर अथॉरिटी की सचिव डा. सुक्ता सिंह को पहले ही सस्पेंड कर बेसिक शिक्षा सचिव संजय सिन्हा समेत कई अन्य अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की है. इसके बावजूद ज़्यादातर अभ्यर्थी योगी सरकार के रवैये से संतुष्ट नहीं हैं और उस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.

गौरतलब है कि यूपी की योगी सरकार ने सूबे के प्राइमरी स्कूलों में साढ़े अड़सठ हजार टीचर्स की भर्ती के लिए प्रक्रिया आयोजित की थी. इसमें बीटीसी डिग्री धारकों व टीईटी क्वालीफाई करने वाले अभ्यर्थियों को ही शामिल होने की छूट थी. इन पदों पर भर्ती के लिए तकरीबन एक लाख लोगों ने ही आवेदन किया था. बेसिक शिक्षा विभाग ने भर्ती का ज़िम्मा परीक्षा नियामक प्राधिकारी यानी एग्जामिनेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी को दिया गया. 27 मई को लिखित इम्तहान कराया गया जबकि तेरह अगस्त को रिजल्ट जारी किया गया. पहले 41556 अभ्यर्थियों को चयनित घोषित किया गया. बाद में आरक्षण का हवाला देकर 6009 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया और 34660 को ही सफल घोषित किया गया. कई अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की तो बाहर किये गए छह हजार लोगों को फिर से शामिल कर लिया गया.

रिजल्ट घोषित होने के बाद तमाम अभ्यर्थियों ने नंबर बेहद कम होने के आरोप लगाए और धांधली की बात कही. मामला फिर हाईकोर्ट गया तो अदालत ने आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों को स्कैन कॉपी देने का आदेश दिया. स्कैन कापियां सामने आने के बाद धांधली और गड़बड़ी के आरोप सही पाए गए. इस भर्ती प्रक्रिया का जो विज्ञापन जारी हुआ था, उसमे एससी एसटी के लिए तीस फीसदी और जनरल और ओबीसी के लिए सिर्फ तैतीस फीसदी नंबर लाने की ही अनिवार्यता थी, लेकिन इम्तहान के बाद इसे बदलकर कट ऑफ बयालीस और पैंतालीस फीसदी कर दिया गया.

पुराने कट ऑफ पर ही भर्ती होने पर लगभग सभी अभ्यर्थियों को नौकरी मिल जाती. अभ्यर्थी अब पूरी प्रक्रिया को रद्द कर नये सिरे से भर्ती कराए जाने या फिर पुराने कट ऑफ का नियम लागू कर उसके तहत सभी पास अभ्यर्थियों को नौकरी दिए जाने की मांग कर रहे हैं. तमाम अभ्यर्थी इससे पहले लखनऊ में कई दिनों तक अनशन पर बैठे थे, लेकिन अब इसे इलाहाबाद में शुरू किया गया है.