पटना: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बिहार के चर्चित सृजन घोटाले के बहाने नीतीश कुमार और सुशील मोदी पर निशाना साधा. आज मीडिया में बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के शीर्ष पर बैठे सृजन घोटाले के मुख्य सूत्रधार को सीबीआई की तरफ से क्यों बचाया जा रहा है? महादलित विकास मिशन घोटाला, ज़मीन घोटाला और सृजन घोटाले के आरोपी केपी रमैया तो शीर्ष नेता की आंखों का तारा है. पटना हाईकोर्ट ने केपी रमैया के भ्रष्टाचार पर तल्ख टिप्पणियां की थी.
तेजस्वी यादव ने कहा, “आंध्रप्रदेश के इस अधिकारी सह बिहार के नेता ने जेडीयू को इतना समृद्ध किया कि आदरणीय नीतीश ने उन्हें बिहार से लोकसभा चुनाव लड़वाया. हारने के बाद लैंड ट्रायब्यूनल का सदस्य बनाया ताकि उनकी पार्टी जेडीयू केपी रमैया रचित घोटालों और उनके पावन कर कमलों द्वारा और समृद्ध होती रहे.”
इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “माननीय मुख्यमंत्री जी बताए, सृजन घोटाले, SC/ST छात्रवृति और ज़मीन घोटाले के आरोपी IAS और नेताओं को उनका सप्रेम संरक्षण प्राप्त क्यों है? ऐसी क्या योग्यता है कि आप उन्हें चुनाव लड़वाते है और हारने पर और घोटाला करने के लिए प्रोत्साहित और पुरस्कृत करते है? सृजन घोटाले में सरकारी खज़ाने से 3300 करोड़ की लूट का दोषी कौन है? 2008 की CAG रिपोर्ट के बावजूद क्यों सीएम के संरक्षण में लगातार 10 वर्ष तक यह घोटाला चलता रहा? 46 लाख के कथित चारा घोटाले पर हाय-तौबा करने वाले 3300 करोड़ की लूट पर चुप क्यों है? क्या CM की चुप्पी घोटाले का प्रमाण नहीं?’’
वहीं सुशील मोदी ने तेजस्वी के आरोपों को खारिज़ कर दिया. उल्टे तेजस्वी को ही घेरने लगे. उन्होंने कहा, “एनडीए सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करती है इसलिए किसी भी घोटाले का पता चलते ही सक्षम एजेंसियों से जांच कराने की सिफारिश की गई. सृजन घोटाले में स्वयं मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और यह जांच तार्किक परिणति की ओर बढ़ रही है. जिन 60 लोगों पर आरोपपत्र दाखिल हुआ है, उनमें किसी को न तो जाति-धर्म, पद या राजनीतिक झुकाव के आधार पर बचाने की कोशिश नहीं की गई, न किसी को फंसाया गया.’’
सुशील मोदी ने कहा, “यह विडम्बना ही है कि जिस दल के स्थायी राष्ट्रीय अध्यक्ष 1000 करोड़ के चारा घोटाले के चार मामलों में दोष सिद्ध अपराधी हैं, वही दल घोटालों की जांच पर सबसे ज्यादा छाती पीट रहा है. सभी घोटालों- अनियमितताओं की जांच एक पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया के तहत चल रही है और प्रमाण के आधार पर आरोपियों के खिलाफ शिकंजा भी कसा जा रहा है.’’
इसके साथ ही सुशील मोदी ने कहा, “जो लोग बेनामी सम्पत्ति बनाने का बिंदुवार जवाब न दे पाने के कारण सत्ता से बाहर होकर जनता के चित से उतर गए, वे दुर्भावनावश, हर जांच के नाम पर सीधे मुख्यमंत्री की गर्दन पर हाथ डालने को उतावले दिख रहे हैं. जिन्हें घोटालों के आरोप सिद्ध करने वाले प्रमाण जुटाने में अदालत का सहयोग करना चाहिए वे केवल राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं. देश की जांच एजेंसियों पर विपक्ष को तब तक भरोसा नहीं है जब तक फैसला उनके राजनीतिक हित पूरे करने लायक नहीं आता.’’
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