राजनैतिक वजूद बचाने के लिए साथ-साथ चलने को तैयार शिवपाल और रामगोपाल
एक बहुत पुरानी कहावत है. राजनीति में न तो कोई किसी का दोस्त होता है और ना ही किसी का दुश्मन. यहां तो मामला दो भाईयों का है. समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के एकछत्र राज ने दोनों को आगे बढ़ कर हाथ मिलाने पर मजबूर कर दिया है.

लखनऊ: क्या मुलायम सिंह के घर में घमासान अब खत्म हो गया है ? रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव के गले मिलने के बाद यही सवाल सबके मन में है. क्या अखिलेश यादव के दोनों चाचा अब एक हो गए हैं? करीब दो साल बाद दोनों साथ बैठे. शिवपाल ने अपने बड़े भाई रामगोपाल के पैर छू कर आशीर्वाद लिए. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव का आज 72वां जन्म दिन है . इटावा के एक होटल में सवेरे सवेरे प्रोफ़ेसर साहेब ने केक काटा. फिर उन्होंने शिवपाल को केक खिलाया और शिवपाल ने रामगोपाल को खिलाया. समाजवादी पार्टी के लोग रामगोपाल को प्रोफ़ेसर साहेब कह कर बुलाते हैं. कुछ ही महीनों पहले तक दोनों एक दूसरे की तरफ देखन तक को तैयार नहीं थे. शिवपाल ने रामगोपाल को शिखंडी कहा था तो शिवपाल को दलाल तक कहा गया था.
साथ आए अखिलेश के दोनों चाचा, रामगोपाल के बर्थडे पर शिवपाल ने काटा केक
अखिलेश यादव के एकछत्र राज ने दोनों को आगे बढ़ कर हाथ मिलाने पर मजबूर कर दिया एक बहुत पुरानी कहावत है. राजनीति में न तो कोई किसी का दोस्त होता है और ना ही किसी का दुश्मन. यहां तो मामला दो भाईयों का है. समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के एकछत्र राज ने दोनों को आगे बढ़ कर हाथ मिलाने पर मजबूर कर दिया है. आज की तारीख में शिवपाल यादव अब बस एक विधायक भर रह गए है. मुलायम सिंह के जमाने में समाजवादी पार्टी में नंबर दो की हैसियत वाले शिवपाल अब पार्टी दफ्तर तक नहीं आते हैं. उनके सभी समर्थकों को पार्टी में किनारे कर दिया गया है. कभी अखिलेश यादव के लिए चाणक्य की भूमिका निभाने वाले रामगोपाल यादव भी अब अकेले पड़ने लगे हैं. सारे बड़े फैसले अखिलेश यादव खुद कर लेते हैं. मायावती से गठबंधन का हो या फिर राज्य सभा का टिकट देने का मामला रामगोपाल से पूछा तक नहीं जाता है. वे चाहते थे कि नरेश अग्रवाल को राज्य सभा भेजा जाए. लेकिन अखिलेश ने तो जया बच्चन को टिकट दे दिया. रामगोपाल मन मसोस कर रह गए.
अपना-अपना राजनैतिक वजूद बचाने के लिए शिवपाल और रामगोपाल अब साथ साथ चलने को तैयार पिछले साल रामगोपाल यादव ने अपने गांव सैफई में जन्म दिन मनाया था. तब ना तो शिवपाल यादव उन्हें बधाई देने पहुंचे थे ना ही मुलायम सिंह यादव. अखिलेश यादव को परिवार समेत छुट्टियां मनाने विदेश जाना था. लेकिन दौरे को आगे बढ़ा कर उन्होंने अपने चाचा रामगोपाल को केक खिलाया था. लेकिन इस बार अखिलेश लंदन में है. साल भर में ही मुलायम सिंह के परिवार में रिश्तों की अदलाबदली हो गयी. रामगोपाल के जन्म दिन में इस बार शिवपाल पहुंचे और मुलायम ने भी आशीर्वाद दिया. अपना-अपना राजनैतिक वजूद बचाने के लिए शिवपाल और रामगोपाल अब साथ साथ चलने को तैयार है.
शिवपाल खुद भी लोक सभा चुनाव लड़ने के मूड में है रिश्तों को बेहतर बनाने की शुरुआत इसी साल मार्च के महीने में हुई थी. दिल्ली में शिवपाल यादव ने चुपके चुपके रामगोपाल यादव से उनके घर पर मुलाक़ात की थी. उन दिनों रामगोपाल मन ही मन अखिलेश यादव से नाराज चल रहे थे. नरेश अग्रवाल का टिकट कट गया था. रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव फ़िरोज़ाबाद से सांसद हैं. यहां से समाजवादी पार्टी के कई बड़े नेता शिवपाल यादव के समर्थक बताये जाते है. उनके समर्थन के बिना अक्षय का चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है. सूत्रों की मानें तो शिवपाल खुद भी लोक सभा चुनाव लड़ने के मूड में है. अगर रामगोपाल का समर्थन मिल जाए तो उनका काम आसान हो सकता है. शिवपाल अब अपने बेटे आदित्य को विधान सभा भेजना चाहते हैं.
मेरठ: 100 मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन का एलान, साम्प्रदायिक तनाव से हैं परेशान
अखिलेश यादव की पीढ़ी के परिवार के सभी नेता इस तामझाम से दूर रहे रामगोपाल यादव का केक काटने भाई शिवपाल यादव तो पहुंच गए. लेकिन अखिलेश यादव की पीढ़ी के परिवार के सभी नेता इस तामझाम से दूर रहे. ना तो सांसद धर्मेंद्र यादव पहुंचे और ना ही सांसद तेजप्रताप यादव आए. ये सब अखिलेश के साथ खड़े रहते हैं. मुलायम परिवार में मचे घमासान में परिवार के सभी लोग रामगोपाल यादव के साथ थे. शिवपाल और मुलायम सिंह ने मिल कर रामगोपाल को एक बार नहीं, दो-दो बार पार्टी से बाहर कर दिया था. तब मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और शिवपाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. बाद में अखिलेश ने रामगोपाल के साथ मिल कर दोनों को पद से हटा दिया था. अब अखिलेश पार्टी के अध्यक्ष है मुलायम बस कहने के लिए सरंक्षक भर रह गए हैं. अब जब शिवपाल और रामगोपाल का मिलन हो ही गया है. तो फिर इसी बहाने बात दूर तक जाएगी.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















