लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के समर्थन का ऐलान करने के सिर्फ़ तीन दिन बाद उससे नाता तोड़ लेने वाली निषाद पार्टी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गठबंधन की अपनी सहयोगी बसपा प्रमुख मायावती के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है.

निषाद पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा 'अखिलेश यादव, मायावती के दबाव में काम कर रहे हैं. यही कारण था कि गोरखपुर और महराजगंज सीटें देने का भरोसा दिलाने के बावजूद सपा अध्यक्ष ने मेरे साथ छल किया.'

उन्होंने कहा 'अखिलेश ने बाद में मुझे दो के बजाय एक सीट देते हुए सपा के चुनाव निशान पर लड़ने को कहा. यह मुझे मंजूर नहीं था. मैं अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न 'भोजन भरी थाली' पर चुनाव लड़ना चाहता था. मगर ऐसा नहीं हो सका. मुझे अखिलेश और मायावती दोनों ने ही ठगा. लिहाजा, मुझे अलग होने का निर्णय लेना पड़ा.'

उन्होंने कहा कि सपा के निशान पर निषाद पार्टी के प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की बात से दल के कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष था और उन्होंने पार्टी छोड़ना शुरू कर दिया था.

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मालूम हो कि निषाद पार्टी ने सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन को समर्थन देने का ऐलान करने के तीन दिन बाद 29 मार्च को अचानक अपना इरादा बदलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.

निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने पिछले साल गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. उस उपचुनाव में बसपा ने भी निषाद का समर्थन किया था.

बीजेपी से सीटों के बंटवारे को लेकर जारी बातचीत का जिक्र किये जाने पर संजय निषाद ने कहा 'हमने बीजेपी नेतृत्व से इस बारे में कहा है और हम उसके अध्यक्ष अमित शाह के सकारात्मक जवाब का इंतजार कर रहे हैं. हमने इसके लिये कोई सौदेबाजी नहीं की है. मैं बीजेपी पर भरोसा करता हूं. आरक्षण हमारा मुख्य मुद्दा है और हम अपने चिह्न पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं.'

साल 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है.

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