मुंबई: देशभर में चल रहे लॉकडाउन की वजह से कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा है. लेकिन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को इमरजेंसी सर्विस में न जोड़ने से लोगों को वर्क फ्रॉम होम में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों के कर्मचारियों को पुलिस सडकों पर नहीं निकलने दे रही है.


वर्क फ्रॉम होम इस लॉकडाउन में तब ही मुमकिन है जब घर पर इंटरनेट ठीक काम कर रहा हो. कई सारे काम कर्मचारी घर बैठे ही इंटरनेट की मदद से निपटा सकते हैं. लेकिन दिक्कत तब हो जाती है जब इंटरनेट नहीं चलता या कोई तकनीकी खामी आ जाती है. ऐसे में लोग जब इंटरनेट कंपनियों के कॉल सेंटर से संपर्क करते हैं तो कंपनियां ग्राहकों के घर पर अपने कर्मचारी नहीं भेज पातीं हैं.


एक इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनी में काम करने वाले टेक्नीशियन सौरभ मोरे ने एबीपी न्यूज को अपना अनुभव बताया. उसका कहना था कि वो मुंबई से नवी मुंबई के वाशी में एक ग्राहक की शिकायत पर उसके घर जाने के लिये निकला. मानखुर्द जंक्शन के पास पुलिस ने नाकेबंदी में उसे पकड़ लिया. उसे अपनी मोटरसाईकिल पर अपनी कंपनी का नाम और “इमरजेंसी सेवा” लिखा कागज चिपका रखा था. पुलिस ने उसे आगे नहीं जाने दिया. मोटरसाईकिल पर लगे कागज को फाड़ कर फेंक दिया और ये कहते हुए उसके साथ बदसलूकी की- “इंटरनेट नहीं मिलेगा तो कोई मर जायेगा क्या.”


मोरे की तरह ही कई ऐसे टेक्नीशियन हैं जो पुलिस के रोके जाने की वजह से मुंबई और आसपास के इलाके में उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे जिनके इंटरनेट किसी तकनीकी कारण से नहीं चल पा रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि अगर सरकार वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा देना चाहती है तो फिर इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को भी इमरजेंसी सेवाओं की लिस्ट में जोड़ा जाना चाहिये.


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