पटना: आईआरसीटी घोटाले को लेकर एबीपी न्यूज़ के खुलासे के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है. जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करूंगा कि इसकी जांच कराई जाए, इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. ये मैच फिक्सिंग है. उन्होंने सवाल किया कि सीबीआई और रेलवे की तरफ से इस मामले में कोताही क्यों हो रही है?

दरअसल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही बिहार में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी से नाता तोड़ लिया था. करीब एक साल बीत गया लेकिन भ्रष्टाचार के जिस घोटाले के मुद्दे पर बिहार में सरकार गिरी, उस रेलवे टेंडर घोटाले के केस की फाइल की रफ्तार बेहद सुस्त है.

एबीपी न्यूज़ ने इस मामले में बड़ी पड़ताल करते हुए सोमवार को अहम खुलासा किया. सीबीआई ने टेंडर घोटाले में रेलवे के एक अधिकारी बी के अग्रवाल पर केस चलाने की इजाजत के लिए रेलवे बोर्ड के प्रिंसपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजिलेंस को चिट्ठी लिखी थी. तीन महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक बी के अग्रवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति रेलवे ने नहीं दी है. इससे साफ है कि रेलवे टेंडर घोटाले में किस तरह ढिलाई बरती जा रही है. एबीपी न्यूज़ के पास इस चिट्ठी और सीबीआई की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट की कॉपी मौजूद है.

ये पूरा केस है क्या? 

इसकी शुरूआत हुई 2005 में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, झारखंड के रांची और ओडिशा के पुरी में रेलवे के दो होटलों को मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लि. को लीज पर दिया गया. आरोप है कि होटल को लीज पर देने के लिए टेंडर के नियमों में ढील दी गयी और जब होटल लीज पर मिल गया तो इसके बदले डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को पटना में 3 एकड़ जमीन मिली. ये जमीन चाणक्य होटल के डायरेक्टर विनय कोचर ने 1 करोड़ 47 लाख में बेची जबकि बाज़ार में उस वक्त इस जमीन की कीमत करीब दो करोड़ रुपए थी.

डिलाइट मार्केटिंग कंपनी आरजेडी सांसद प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के नाम पर थी, सीबीआई का कहना है कि ये कंपनी लालू परिवार की बेनामी कंपनी थी. 2014 में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी के शेयर लारा प्रोजेक्ट के नाम ट्रांसफर कर दिए गए, लारा प्रोजेक्ट कंपनी में लालू की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी डायरेक्टर हैं, जब सारे शेयर डिलाइट मार्केटिंग कंपनी से लारा प्रोजेक्ट में ट्रांसफर हो गए तब इस जमीन की कीमत करीब 32 करोड़ रूपए हो गयी. यहां पर जो बात सबसे ज्यादा हैरान करती है वो ये कि 32 करोड़ की इस ज़मीन को लालू के परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रूपए लेकर ट्रांसफर कर दिया गया.