गोरखपुर अस्पताल ट्रेजडी में डीएम राजीव रौतेला पर कार्रवाई क्यों नहीं?
एबीपी न्यूज़ | 14 Aug 2017 08:56 AM (IST)
डीएम की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध है, क्योंकि जब उन्हें पूरे मामले की जानकारी थी तो वो अंतिम समय तक चुप्पी क्यों साधे रहे? क्या डीएम को सीएम योगी के सामने बकाया राशि का मामला नहीं उठाना चाहिए था?
गोरखपुर: मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे में प्रिंसिपल डॉ आरके मिश्रा और इंसेफ्लाइटिस वार्ड के नोडल अफसर डॉ कफ़ील खान के खिलाफ कार्रवाई हो गई, लेकिन सवाल ये है कि डीएम राजीव रौतेला के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. यूपी: देवरिया के जिला अस्पताल में भी बंद हो सकती है ऑक्सीजन की सप्लाई, जानें क्यों? डीएम ने सीएम के सामने पैसे का मुद्दा क्यों नहीं उठाया? पुष्पा सेल्स ने जो चिट्ठी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को लिखी थी, उसको यूपी के चिकित्सा महानिदेशक और गोरखपुर के जिलाधिकारी को भी भेजी गई थी. सरकार का दावा है कि 5 अगस्त को पैसे रिलीज़ कर दिए गए तो आखिर डीएम ने मामले का संज्ञान क्यों नहीं लिया? इंसेफ्लाइटिस को लेकर सीएम की बैठक में डीएम राजीव रौतेला ने बकाया पैसे का मुद्दा क्यों नहीं उठाया? जानें, BRD अस्पताल से योगी सरकार ने क्यों की डॉ कफील खान की छुट्टी? डीएम की भूमिका संदिग्ध डीएम की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध है, क्योंकि जब उन्हें पूरे मामले की जानकारी थी तो वो अंतिम समय तक चुप्पी क्यों साधे रहे? क्या डीएम को सीएम योगी के सामने बकाया राशि का मामला नहीं उठाना चाहिए था? क्या डीएम ने प्रिंसिपल को कोई चिट्ठी लिखी जिसमें बकाया राशि का भुगतान हुआ या नहीं हुआ? इसकी जानकारी मांगी गई हो? डीएम रौतेला ने आखिर 9 तरीख या 10 तारीख को जब गैस आपूर्ति रोकी जानी थी, तब एक बार भी हालात का जायजा लिया या हादसे का इंतज़ार करते रहे? सवाल है ऐसा क्यों हुआ? क्या है पूरा मामला? दरअसल गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक गई थी. जिसकी वजह से 36 बच्चों की मौत हो गई थी. बताया गया कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी और बच्चों की जान सिर्फ एक पंप के सहारे टिकी हुई थी. हालांकि अब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरु की जा चुकी है. क्यों हुआ ये हादसा? बताया जा रहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का 66 लाख रुपए से ज्यादा बकाया था. इस मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई का जिम्मा लखनऊ की निजी कंपनी पुष्पा सेल्स का है. तय अनुबंध के मुताबिक मेडिकल कॉलेज को दस लाख रुपए तक के उधार पर ही ऑक्सीजन मिल सकती थी. एक अगस्त को ही कंपनी ने गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज चिट्ठी लिखकर ये तक कह दिया था, कि अब तो हमें भी ऑक्सीजन मिलना बंद होने वाली है.