गोरखपुर: गोरखपुर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया जहां शिक्षक ने दो बच्चियों को ऐसी सजा दी की जिसने भी सुना हैरान रह गया. सुबह से स्‍कूल गईं बच्चियां जब घर नहीं लौटीं, तो परिजनों को चिंता हुई. शाम 5 बजे जब बच्चियों के पिता उन्‍हें ढूंढते हुए स्‍कूल पहुंचे तो आवाक रह गए. दोनों बच्चियां क्‍लासरूम में बंद थीं. कक्षा दो में पढ़ने वाली दोनों बच्चियों के पिता ने उन्‍हें बदहवास हालत में 4 घंटे बाद खिड़की के रास्‍ते बाहर निकाला. हालांकि इस मामले में बच्चियों के परिजनों ने पुलिस से शिकायत नहीं की है. लेकिन, बच्चियां खुद इस घटना के बारे में खुलकर बता रहीं है. स्‍कूल प्रबंधन द्वारा इस तरह की लापरवाही का ये मामला हैरान कर देने वाला है.

पिपराइच इलाके के पादरी बाजार हैदरगंज में नवोदय विद्या मंदिर स्‍कूल है. कक्षा दो में पढ़ने वाली लाडली (7 वर्ष) और रागिनी (8 वर्ष) ममेरी बहनें हैं. लाडली हैदरगंज के रहने वाले गिरधारी निषाद और रागिनी पन्‍ने लाल की बेटी है. दोनों बच्चियों के परिजनों का आरोप है कि शनिवार को सुबह दोनों बच्चियां स्‍कूल गईं थी. वहां पर उनकी शिक्षिका शालिनी ने होमवर्क पूरा नहीं होने पर बड़े सर (प्रिंसिपल) अनुराग श्रीवास्‍तव के कमरे में भेज दिया. प्रिंसिपल ने 7वीं और 8वीं क्‍लास के समय उन्‍हें पुराने ऑफिस में बैठने को कह दिया. दोनों बच्चियां पुराने ऑफिस में जाकर बैठ गईं. उसके बाद उन्‍हें उन्‍हीं के क्‍लास रूम में सजा के तौर पर बंद कर दिया गया.

दोपहर 1 बजे जब स्‍कूल की छुट्टी हुई, तो प्रिंसिपल और शिक्षिका भी भूल गए कि क्‍लास रूम में दोनों बच्चियां बंद हैं. बच्चियां बदहवास होकर चिल्‍लाती रहीं, लेकिन उनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी. स्‍कूल बंद होने के बाद सभी शिक्षक और कर्मचारी अपने घर चले गए. जब शाम 5 बजे तक बच्चियां घर नहीं पहुंची, तो परिजनों को उनकी चिंता सताने लगी. उन्‍होंने स्‍कूल प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे सम्‍पर्क नहीं हो पाया. गिरधारी बच्चियों को ढूंढते हुए शाम 5 बजे के करीब स्‍कूल पहुंचे.

स्‍कूल के गेट पर ताला बंद देख कर गिरधारी घर वापस जा रहे थे. उन्‍होंने पुत्री लाडली को गेट के बाहर से जोर से आवाज दी. पिता गिरधारी की आवाज सुनकर लाडली जोर-जोर से रोने लगी. गेट से कमरा करीब होने के कारण गिरधारी ने भी बच्‍ची की आवाज सुन ली और वो गेट लांघकर अंदर घुसा और कमरे में लगी लकड़ी के दरवाजे वाली बगैर ग्रिल की खिड़की के रास्‍ते दोनों को बाहर निकाला.

कमरे से बाहर निकलने के बाद बदहवास बच्चियों की जान में जान आई. हालांकि परिजनों ने अभी इसकी शिकायत पुलिस से नहीं की है. लेकिन, रविवार को प्रबंधक ओपी श्रीवास्‍तव के बुलाने पर परिजनों के साथ स्‍कूल पहुंची बच्चियों ने सिलसिलेवार घटना के बारे में जानकारी दी. हालांकि प्रबंधक ओपी श्रीवास्‍तव और प्रिंसिपल अनुराग श्रीवास्‍तव पूरे घटनाक्रम को झूठा बता रहे हैं.

नवोदय विद्या मंदिर स्कूल पादरी बाजार क्षेत्र के हैदर गंज में स्थित है. जो विगत 29 सालों से साल 1989 से चल रहा है. स्कूल की दीवारों पर कहीं भी विद्यालय का रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित नहीं है. जबकि विद्यालय के प्रबन्धक ओपी श्रीवास्तव का कहना है कि विद्यालय स्थायी मान्यता प्राप्त है. स्‍कूल प्रबंधन की लापरवाही का ये पहला मामला नहीं है. ऐसे मामले पहले भी प्रकाश में आते रहे हैं.