इलाहाबाद: यूपी का चुनावी बिगुल फूंका जा चुका है. अगले महीने से विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुरु होने वाला है. इसे लेकर सभी राजनीतिक दल के प्रत्याशी अपनी कमर कस चुके हैं. कोई भी कैंडिडेट अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है. कोई अपनी मेहनत से तो कोई धनबल से और कोई बाहुबल से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुट गया है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी ही प्रत्याशी के बारे में बता रहे हैं जो कभी लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा लगाती थीं और अब लगातार तीसरी बार विधायक बनने की तैयारी में हैं.

12 साल पहले घरों में लगाती थी झाडू-पोंछा

ये हैं इलाहाबाद वेस्ट सीट से बीएसपी की विधायक पूजा पाल. आपको बता दें कि कुछ सालों पहले तक पूजा दूसरों के घरों और दफ्तरों में झाडू-पोंछा का काम करती थीं, लेकिन अब वह मंझी हुई राजनेता बन चुकी है. वह पिछले दस सालों से विधायक हैं और लगातार तीसरी बार एमएलए बनने के लिए फिर से चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं.

इलाहाबाद वेस्ट से चुनाव लड़ते रहे हैं बाहुबली नेता अतीक अहमद

इलाहाबाद वेस्ट सीट कभी बाहुबली नेता अतीक अहमद की जागीर समझी जाती थी लेकिन पांच बार के विधायक और पूर्व सांसद माफिया डॉन अतीक अहमद ने भी पूजा पाल के चलते अपनी सीट बदल दी है. इतना ही नहीं बीएसपी ने लगातार चौथी बार उन्हें टिकट भी दे दिया है. अगर इस बार यूपी में बीएसपी की सरकार बनी तो उसका मंत्री बनना भी लगभग तय होगा.

साइकिल का पंक्चर बनाते थे पूजा के पिता

पूजा पाल इलाहाबाद के दरियाबाद इलाके में रहने वाले एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है. उसके पिता शहर के ही बलुआघाट चौराहे पर फुटपाथ पर लकड़ी का एक बक्सा रखकर साइकिल का पंक्चर बनाते थे, जबकि मां घरों में झाडू-पोछा करती थी. मां-बाप ने अपनी इस बड़ी बिटिया को खूब पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाने का सपना देखा था, लेकिन गरीबी के चलते वह सातवीं क्लास से आगे स्कूल नहीं जा सकी थी.

अस्पताल में राजू पाल से हुई पूजा की मुलाक़ात

पूजा पाल को महज ग्यारह साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर उसे भी मां के साथ घरों में झाडू-पोछे के लिए जाना पड़ा. कुछ सालों बाद उसे शहर के रामबाग इलाके में चलने वाले वाले एक प्राइवेट अस्पताल में भी यही काम मिल गया. नौकरी के दौरान इसी अस्पताल में उसकी मुलाक़ात राजू पाल से हुई. राजू पाल को आपसी रंजिश में किसी ने गोली मार दी थी और वह इसी अस्पताल में अपना इलाज करा रहा था. अस्पताल में इलाज के दौरान ही दोनों एक- दूसरे को अपना दिल दे बैठे और शादी के वायदे के साथ एक-दूसरे से मिलते रहे.

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में मुलायम की समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद की फूलपुर सीट से शहर पश्चिमी के बाहुबली विधायक अतीक अहमद को टिकट दिया. देश के पहले पीएम पंडित नेहरू का चुनाव क्षेत्र रहे फूलपुर सीट से अतीक वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे. सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफ़ा दे दिया और अपनी जगह छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ़ अशरफ को एसपी का टिकट दिला दिया.

शादी के महज नौवें दिन ही विधवा हो गई पूजा

जून 2004 में हुए इस शहर पश्चिमी के उपचुनाव में बीएसपी ने राजू पाल को अपना उम्मीदवार बना दिया. टिकट पाने से पहले राजू पाल का किसी ने नाम भी नहीं सुना था. बहरहाल तकदीर ने उस चुनाव में राजू पाल का साथ दिया और वह अतीक अहमद के दबदबे को ख़त्म करते हुए पहली बार बीएसपी को यह सीट जिताने में कामयाब रहे. विधायक बनने के बाद राजू पाल अपने सियासी दुश्मनो के निशाने पर आ गए. उन पर दो बार जानलेवा हमला भी किया गया.

विधायक बनने के सात महीने बाद विधायक राजू पाल ने सोलह जनवरी साल 2005 को घर के नजदीक मंदिर में ही सादगी के साथ अपनी प्रेमिका पूजा से ब्याह रचा लिया. शादीशुदा ज़िंदगी को लेकर दोनों ने काफी सपने पाल लिए थे. हालांकि तकदीर को कुछ और ही मंजूर था. शादी के महज नौ दिन बाद पचीस जनवरी को शहर से घर वापस लौटते वक्त विधायक राजू पाल पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया. इस सनसनीखेज क़त्ल के बाद इलाहाबाद कई दिनों तक हिंसा की चपेट में रहा. विधायक राजू पाल के क़त्ल का आरोप तत्कालीन एसपी सांसद अतीक अहमद और राजू पाल के खिलाफ चुनाव हारने वाले अतीक के छोटे भाई अशरफ पर लगा. दोनों को इस मामले में जेल भी जाना पड़ा.

पूरी ताकत झोंके जाने की वजह से पूजा पाल हार गईं यह उपचुनाव

राजू पाल के क़त्ल से खाली हुई इलाहाबाद वेस्ट सीट पर साल 2005 में फिर से उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में एसपी ने दोबारा अतीक के भाई अशरफ पर दांव लगाया, जबकि मायावती ने राजू पाल की विधवा पूजा पाल को उम्मीदवार बनाया. टिकट मिलने के वक्त पूजा पाल पर कम उम्र होने का आरोप भी लगा. हालांकि वोटों की पेशबंदी और सत्ता पक्ष द्वारा पूरी ताकत झोंके जाने की वजह से पूजा पाल यह उपचुनाव हार गईं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने न तो सियासत से नाता तोडा और न ही बीएसपी का दामन छोड़ा.

साल 2007 में बीएसपी ने इसी सीट से उन्हें फिर टिकट दिया और मायावती लहर में वह विधायक बन गईं. पूजा पाल ने 2007 में अतीक के भाई अशरफ को हराया तो 2012 के चुनाव में उन्होंने इकहत्तर हजार वोट पाकर सीधे अतीक अहमद को मात दी. यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने उन्हें फिर से टिकट दे दिया है. हालांकि पूजा पाल को फिर से बीएसपी का टिकट मिलने के बाद एसपी के बाहुबली नेता अतीक अहमद ने अब अपनी परंपरागत सीट को छोड़कर कानपुर का रुख कर लिया है. समाजवादी पार्टी ने अतीक को कानपुर कैंट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है.