लखनऊ: अयोध्या में संघ परिवार की धर्म सभा तो ख़त्म हो गई लेकिन अब आगे क्या ? इस एक सवाल ने बीजेपी नेताओं की नींद उड़ा दी है. पार्टी के लोकसभा सांसदों का तो हाल बुरा है. कुछ ही महीनों बाद उन्हें जनता के बीच परीक्षा देनी है. हालात दिन ब दिन ख़राब हो रहे हैं. न उज्जवला गैस योजना से जीत का उजाला ढूढ़ पा रहे हैं. न ही आयुष्मान योजना से विजयी भव का आशीर्वाद मिलता दिख रहा है. बीजेपी के सांसदों का भविष्य राम भरोसे रह गया है. लेकिन इस बार भगवान भी टेंट से बाहर आए बिना भगवा भक्तों का कल्याण करने के मूड में नहीं हैं. यूपी में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के प्रस्तावित गठबंधन से बीजेपी नेता परेशान हैं. वे इस बार राम मंदिर का नारा नहीं, भव्य मंदिर बनते हुए देखना चाहते हैं. रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे. यहां तक तो ठीक है. लेकिन तारीख़ कब बतायेंगे. यूपी में बीजेपी के एमपी अब तारीख को लेकर बेचैन हो रहे हैं. बिना तारीख़ के अगला चुनाव कैसे लड़ेंगे. बलिया से पार्टी के सांसद भरत सिंह कहते हैं बिना राम मंदिर बनाए काम नहीं चलने वाला है. कम से मंदिर बनाने की शुरूआत तो करनी ही होगी. नहीं तो किस मुंह से हम पब्लिक से वोट मांगने जायेंगे. भरत सिंह अकेले ऐसे एमपी नहीं हैं. पार्टी के अधिकतर सांसदों की यही सोच है. वे कहते हैं सिर्फ़ नारे लगाने और वादे करने के दिन तो लद गए. ब्रज भूषण शरण सिंह कैसरगंज से लगातार तीसरी बार एमपी बने हैं. क्या अब धैर्य ख़त्म हो रहा है? इस सवाल के जवाब में सिंह कहते हैं मेरा ही नहीं सबका धैर्य जवाब दे रहा है. 26 साल हो गए. अब नहीं तो कब बनेगा राम मंदिर? केन्द्र में मोदी जी और प्रदेश में योगी जी की सरकार है, इस से बेहतर क्या हो सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी की 80 में से 71 सीटें मिली थीं. दो सीट पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल की जीत हुई थी. बीएसपी का तो खाता तक नहीं खुल पाया था. कांग्रेस से सिर्फ़ सोनिया और राहुल गांधी ही जीत पाये थे. जबकि समाजवादी पार्टी के हिस्से में 5 सीटें ही आई थीं. सिर्फ़ मुलायम सिंहल का परिवार ही चुनाव जीत पाया था. अब बीजेपी के सामने चुनौती इस शानदार प्रदर्शन को दोहराने की है. लखनऊ से सटे एक लोकसभा क्षेत्र के सांसद ने कहा कि अगर बीएसपी और एसपी में गठबंधन हुआ तो हमें 15 से 20 सीट भी मिल जाये तो बहुत है. फ़र्रूख़ाबाद के बीजेपी एमपी मुकेश राजपूत कहते हैं बिना राम मंदिर के अब कोई विकल्प नहीं बचता है. अयोध्या की धर्म सभा में वे समर्थकों संग गए थे. राजपूत कहते हैं पार्टी के कार्यकर्ता और जनता दोनों चाहती है कि चुनाव से पहले राम मंदिर बनना शुरू हो जाये. उनकी मानें तो अब लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है. हरीश द्विवेदी पहली बार बस्ती से सांसद बने हैं. वे कहते हैं फिर से लोगों में रामलला का मंदिर बनने की आस जगने लगी है. ये भरोसा नहीं टूटना चाहिए.