इलाहाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के सुपरटेक बिल्डर्स को इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज फिर बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सुपरटेक के जार सूट्स प्रोजेक्ट में अवैध तरीके से बने 904 फ्लैटों को सील करने के अपने पुराने आदेश को वापस लेने से इंकार दिया है. अदालत ने इस बारे में सुपरटेक बिल्डर्स को कोई राहत नहीं दी है. हालांकि अदालत ने अवैध बने फ्लैटों में भी रह रहे लोगों को अगले आदेश तक वहां बने रहने की छूट ज़रूर दे दी है.
10 जुलाई को फिर से सुनवाई करेगी कोर्ट
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि सुपरटेक बिल्डर्स ने अवैध फ्लैटों के बारे में यूपी सरकार को जो अर्जी दी है, उस पर वही फैसला करेगी और कोर्ट इस मामले में सीधे तौर पर कोई दखल नहीं देगी. अदालत इस मामले में अब 10 जुलाई को फिर से सुनवाई करेगी. यह आदेश चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशंवत वर्मा की डिवीजन बेंच ने वी के शर्मा की अर्जी पर सुनवाई के बाद जारी किया है.
अर्जी में कहा गया कि बिल्डर ने अवैध निर्माण की कम्पाउण्डिंग लेकर अवैध निर्माण को वैध करार देने की अर्जी दी है. नोएडा अथारिटी ने अर्जी निरस्त कर दी थी, जिसके खिलाफ राज्य सरकार में अपील दाखिल की गई है. सुपरटेक बिल्डर्स की तरफ से कहा गया कि यूपी सरकार के सामने दाखिल की गई अपील का फैसला होने तक फ्लैट सील करने का आदेश वापस लिया जाए. कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर्स की इस अपील को मंजूर नहीं किया.
844 फ्लैट्स का पास कराया गया नक्शा
गौरतलब है कि सुपरटेक बिल्डर्स ने साल 2007 में ग्रेटर नोएडा के प्लाट जी एच - 2 सेक्टर ओमनी कॉन-1 में जार सूट्स योजना के तहत 844 फ्लैट्स का नक्शा पास कराया गया. बिल्डर्स ने बाद में नक्शा पास कराए बिना ही 1064 और फ्लैट्स बना लिए. इनमें से कुछ फ्लैट्स लोगों को एलाट भी कर दिए गए.
हाईकोर्ट ने इसी साल 20 अप्रैल को अवैध बने फ्लैट्स को सील करने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट के आदेश पर इनमे से खाली पड़े 904 फ्लैट्स को सील कर दिया गया, जबकि बाकी फ्लैटों में कब्जेदारों के रहने की वजह से उन्हें छोड़ दिया गया था.