लखनऊ: यूपी में आलू पर राजनीति में तेजी आ गई है. लेकिन आलू किसान अपने हाल पर रो रहे हैं. नोटबंदी से पैदावार और आमदनी दोनों पर असर हुआ है. एबीपी न्यूज की टीम ने आगरा में किसानों का हाल जाना.


नोटबंदी के बाद आलू की पैदावार पर असर 


किसानों के मुताबिक पहले नोटबंदी के दौरान नकदी की कमी से खाद-पानी की किल्लत हुई. इसके बाद आलू की पैदावार कम हुई और अब बची खुची फसल बेचने की नौबत आ गई है. आगरा की मंडी में इस बार आधा आलू आया है और कोल्ड स्टोरेज तक भी कम आलू पहुंच रहे हैं.


दो से चार रुपये किलो आलू बेचने को मजबूर हैं किसान


आलम ये है कि सब्जियों का राजा आलू माटी के मोल बिक रहा है और किसानों के लिए लागत वसूलना भी टेढ़ी खीर हो गया है. लेकिन यूपी में आलू पर राजनीति करके वोट की फसल जुटाने में कोई पीछे नहीं है. किसान दो से लेकर चार रुपये किलो तक की दर से आलू बेचने को मजबूर है.

यूपी में आलू पर राजनीति


एक तरफ जहां आलू को लेकर किसानों की हालत चिंताजनक है वहीं दूसरी तरफ नेता चुनाव के मौसम में आलू पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं. आलू को लेकर पीएम मोदी से लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वादे किए हैं. राहुल गांधी ने कहा कि उनकी सरकार फूड प्रोसेसिंग प्लांट में किसानों की मदद करेंगे. वहीं किसानों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि वे किसानों को बर्बाद नहीं होने देंगे.


खरीददारों के लिए तरस रहे हैं किसान


पांच चरणों के मतदान के बाद यूपी में आलू पर राजनीति किसके हक में कितना वोट मिलेगी ये तो 11 मार्च को पता लगेगा. लेकिन आलू के किसान की हालत बेहद ही खराब बनी हुई है. आगरा के खंदौली इलाका जहां आलू की रिकॉर्ड पैदावार के जानी जाती है, लेकिन अब आलू किसान खरीददारों के लिए तरस रहे हैं.