अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) परिसर में पिछले दिनों भारत विरोधी नारेबाजी के आरोप में अपने तीन साथियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने से नाराज कश्मीरी छात्रों ने सोमवार को स्थानीय प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विरोध मार्च निकाला.

प्रदर्शनकारियों ने सर सैयद गेट से कुलपति के कार्यालय तक पदयात्रा की. उसके बाद पांच छात्रों के समूह ने एएमयू के रजिस्ट्रार से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कश्मीरी छात्रों ने आरोप लगाया कि वे लगातार डर के माहौल में जी रहे हैं.

ज्ञापन में कहा गया है कि अगर एएमयू के तीन कश्मीरी छात्रों के खिलाफ दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस नहीं लिया गया तो विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 1200 से ज्यादा कश्मीरी छात्र 17 अक्तूबर को एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की जयन्ती ‘सर सैयद डे‘ पर एएमयू छोड़कर अपने घर लौट जाएंगे. उससे पहले 16 अक्तूबर को वे एएमयू के पूर्व छात्रों के अखिल भारतीय सम्मेलन में अपनी बात रखेंगे.

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हालांकि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अब्दुल हामिद का कहना है कि कश्मीरी छात्रों के एएमयू छोड़कर जाने का मामला जल्द ही थम जाएगा, क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन गत गुरुवार को आतंकवादी मन्नान बशीर वानी की नमाज-ए-जनाज़ा पढ़ने की नाकाम कोशिश करने वाले कुछ कश्मीरी छात्रों की धरपकड़ की कार्रवाई करने का इच्छुक नहीं है.

हामिद ने कहा कि एएमयू प्रशासन किसी भी निर्दोष को परेशान नहीं करेगा. प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहसिन खान की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही किसी दोषी के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी.

मालूम हो कि एएमयू के निष्कासित छात्र आतंकवादी मन्नान वानी की नमाज-ए-जनाजा को परिसर के अंदर पढ़ने की कोशिश के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में गत 12 अक्तूबर को तीन कश्मीरी छात्रों वसीम मलिक, अब्दुल मीर तथा एक अज्ञात छात्र के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था.

इसके अलावा एएमयू प्रशासन ने नमाज ए जनाजा पढ़ने के लिए अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा करने के मामले में विश्वविद्यालय के नौ छात्रों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.

हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान वानी को कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था. वह एएमयू में पीएचडी का छात्र था. पिछली जनवरी में उसने सोशल मीडिया पर एके-47 रायफल के साथ अपनी तस्वीर डाली थी, जिसके बाद उसे विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया था.