लखनऊ: भारतीय किसान यूनियन ने मोदी सरकार के गन्ना किसानों के बेल आउट पैकेज का विरोध किया है. खबर है कि केन्द्र जल्द ही 8000 करोड़ के पैकेज की एलान कर सकती है. यूपी में किसानों के सबसे बड़े संगठन ने इसे झुनझुना बताया है. किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा “ इस से गन्ना किसानों को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है”. किसानों के संगठन ने बेल आउट पैकेज को चुनावी स्टंट बताया है.

कैराना लोकसभा उप चुनाव में बीजेपी की हार के बाद से गन्ना किसान चर्चा में हैं. विपक्ष इसे जिन्ना पर गन्ने की जीत बता रहा है. कहने का मतलब ये कि गन्ना किसानों के नाराज़ होने से बीजेपी हार गई. इस पेराई सीज़न में किसानों का चीनी मिलों पर 10 हज़ार करोड़ का बक़ाया हो गया है.

गन्ना किसानों को ख़ुश करने के लिए मोदी सरकार राहत पैकेज लाने की तैयारी में है. किसान यूनियन का कहना है कि यूपीए राज में 6 हज़ार करोड का बेल आउट पैकेज आया था. एनडीए सरकार भी पहले 15 सौ करोड़ की पैकेज दे चुकी है. यूनियन की मानें तो इससे गन्ना किसानों का कोई फ़ायदा नहीं हुआ. भारतीय किसान यूनियन ने गन्ना किसानों की बेहतरी के लिए केन्द्र से 6 मांगे रखी है.

किसानों की बेहतरी के लिए केन्द्र के सामने रखी गई हैं ये मांगे

1. चीनी की बिक्री दो तरह से हो.जैसे कुकिंग गैस का है. घरेलू इस्तेमाल की चीनी 25 रूपए किलो और कॉमर्शियल चीनी 100 रुपए बाज़ार में मिले 2. देश में चीनी का बिफर स्टॉक बनाया जाए. 3. पेट्रोलियम में 25% तक इथेनॉल ब्लेंड किया जाए.ब्राज़ील की तरह गन्ने की रस से इथेनॉल बने 4. चीनी के निर्यात पर सब्सिडी दी जाए. 5. देश में शुगर केन फ़ंड बने. गन्ना देने के बदले किसानों को 24 घंटे में इस फ़ंड से भुगतान हो. समय पर पेटेंट न करने वाली मिलों से ब्याज वसूला जाए 6. चीनी आयात पर ड्यूटी लगाई जाए