नई दिल्ली: हाल में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली जीत से एक तरह से यह तय हो गया है कि भारत का अगला राष्ट्रपति बीजेपी का उम्मीदवार बनेगा.


बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आम सहमति तैयार करने के मकसद से विपक्षी दलों के साथ चर्चा करने की पहल की है. हालांकि, सत्ताधारी पार्टी को प्रमुख विपक्षी पाटर्यिों के समर्थन की जरूरत नहीं है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी को मिली बड़ी जीत से अगला राष्ट्रपति चयन करने वाले निर्वाचक मंडल में उसकी हिस्सेदारी अच्छी-खासी बढ़ी है.


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है और 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है.


राष्ट्रपति चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से चुनाव होता है. इसमें 4120 विधायकों और 766 निर्वाचित सांसदों सहित कुल 4896 वोट होते हैं. लोकसभा अध्यक्ष वोट डाल सकते हैं किन्तु लोकसभा में दो मनोनीत एंग्लो इंडियन सदस्य एवं राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य इसमें वोट नहीं डाल सकते.


राज्यसभा में बीजेपी के अब 56 सदस्य हो गये हैं, जबकि कांग्रेस 59 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभों के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल होते हैं.


6 लोगों ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया


मुंबई के पटेल दंपति सायरा बानो मोहम्मद पटेल और मोहम्मद पटेल अब्दुल हामिद सहित छह लोगों ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के पहले दिन अपना पर्चा दाखिल किया है.


मिलनाडु के के. पद्मराजन, मध्य प्रदेश के आनंद सिंह कुशवाहा, तेलंगाना के ए.बाला राज और पुणे के कोंडेकर विजयप्रकाश ने भी राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपना नामांकन-पत्र दाखिल किया. हालांकि, इन सभी का नामांकन रद्द होना तय है, क्योंकि इनमें से किसी ने भी निर्वाचक मंडल में से 50 प्रस्तावकों और प्रस्ताव के इतने ही समर्थकों के दस्तखत की अनिवार्य शर्त पूरी नहीं की है.