मक्का मदीनाः  पिछले 2 साल से मक्का मदीना जाने वाले कई मुसलमान कोरोना महामारी के चलते उमरा करने से महरूम रह गए. हालांकि अब 2 साल बाद पाक रमजान के महीने में मुंबई के अकीदतमंद मुसलमान उमरा के लिए बड़ी संख्या में मक्का जा रहे हैं.


बड़ी बात ये है कि मक्का और मदीना जाने के लिए टिकट वीजा और रहने-खाने की जगह महंगी होने के बावजूद अकीदतमंद अपने इस सबसे पाक शहर में जाकर हज करने के लिए तैयार हैं. भले ही इस काम के लिए उनको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है. मुंबई के रहने वाले और कांग्रेस नेता मुदस्सर पटेल अपनी अम्मी के साथ रमजान का महीना शुरू होने के बाद रविवार को मक्का पहुंचे. उन्होंने कहा कि "मैं खुशनसीब हूं कि मैं अपनी अम्मी को यहां ला पाया जो उमरा करने के लिए मक्का आना चाहती थीं. पिछले 2 साल से इतनी मौतें और गमगीन माहौल देखने के बाद यहां आना एक राहत की बात है, ना सिर्फ हमारे लिए बल्कि ग्लोबल टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए भी ये एक बड़ी राहत है. ये भारत की एयरलाइंस और टूर बिजनेस इंडस्ट्री के लिए अच्छी खबर है." 


एक विश्वास है कि रमजान के दौरान उमरा करना उतना ही फल देने वाला काम है जितना हज करना. इस पाक महीने में उमरा करने वालों को खूब दुआएं मिलती हैं. इसीलिए इस बात में कोई हैरानी नहीं है कि इस दौरान इतनी भीड़ देखने को मिल रही है. 


बता दें कि जहां हज करने के लिए साल में एक खास समय होता है वहीं उमरा पूरे साल के दौरान कभी भी किया जा सकता है. अकीदतमंदों का हज के लिए मदीना जाना अनिवार्य नहीं है पर लोग इसलिए वहां जाते हैं क्योंकि पैगम्बर मुहम्मद साहब को वहां दफनाया गया है.


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