नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि देश के ऐतिहासिक धरोहर लाल किले को मोदी सरकार ने बेच दिया है. दावे के मुताबिक डालमिया भारत लिमिटेड ग्रुप लाल किले का नया मालिक बना है. इतना ही नहीं सोशल मीडिया सौदे की कीमत भी बता रहा है. दावे के मुताबिक डालमिया भारत लिमिटेड ने लाल किला खरीदने के लिए पूरे 25 करोड़ रुपए चुकाए हैं.

क्या है वायरल दावे का सच? इस दावे की सच्चाई जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने अपनी तहकीकात शुरू की तो पता चला कि 27 सितंबर 2017 को विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने एडॉप्ट ए हेरीटेज' यानि अपनी धरोहर अपनी पहचान योजना की शुरुआत की थी.

इस योजना के तहत एतिहासिक धरोहरों को रख रखाव के लिए गोद लिया जा सकता है. एडॉप्ट ए हेरिटेज योजना के तहत ही डालमिया भारत लिमिटेड से पांच साल का अनुबंध किया गया है.

इसके लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और डालमिया ग्रुप के बीच 25 करोड़ रुपये का करार हुआ है. यानि हर साल डालमिया ग्रुप लाल किले के सौंदर्यीकरण और रखरखाव पर पांच करोड़ खर्च करेगा. इस करार से सरकार को आर्थिक रूप से फायदा होगा क्योंकि सरकार रखरखाव पर होने वाले खर्च से बच जाएगी.

डालमिया ग्रुप ने ऐसा क्यों किया? डालमिया भारत लिमिटेड कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी के तहत ये करेगा. सरकार से हुए समझौते के बाद अब डालमिया ग्रुप लाल किला को पर्यटकों के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए काम करेगा. अब डालमिया ग्रुप के पास लाल किले के सौंदर्यीकरण, रखरखाव की जिम्मेदारी होगी.

समझौते के तहत लाल किले में आने वाले पर्यटकों के लिए एप बेस्ड गाइड, डिजिटल स्क्रीनिंग, फ्री वाईफाई, पानी की सुविधा, टॉयलेट अपग्रेडेशन, रास्तों पर लाइटिंग, बैटरी से चलने वाली गाड़ियां, चार्जिंग स्टेशन, सर्विलांस सिस्टम, कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं देना शामिल है.

पर्यटन मंत्रालय की 'एडॉप्ट ए हेरीटेज' स्कीम देश भर के 100 ऐतिहासिक स्मारकों पर लागू की गई है. इसमें ताजमहल, कांगड़ा फोर्ट, सती घाट और कोणार्क मंदिर जैसे कई प्रमुख स्थान हैं.

एबीपी न्यूज़ की पड़ताल का नतीजा? डालमिया भारत लिमिटेड को एडॉप्ट ए हेरीटेज पॉलिसी के तहत लाल किला के रख रखाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है. डालमिया भारत ग्रुप अगले पांच सालों तक लाल किला को बेहतर बनाने का काम करेगा. हमारी पड़ताल में लाल किले को 25 करोड़ रुपए में बेचने वाला दावा झूठा साबित हुआ है.