नई दिल्लीः कोरोना की संभावित तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए दिल्ली में इससे निपटने की तैयारियां अभी से की जा रही है. आपदा के समय मेडिकल स्टाफ की कमी को देखते हुए अतिरिक्त वर्कफोर्स की तैनाती के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 5,000 कम्युनिटी हेल्थ असिस्टेंट तैयार करने की घोषणा की थी. जिसके तहत 500 ट्रेनी के पहले बैच की ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी गई है. एक खास ट्रेनिंग मॉड्यूल के तहत इन लोगों पैरामेडिक, लाइफ सेविंग, फर्स्ट एड, होम केयर की ट्रेनिंग दी जाएगी. ये हेल्थ असिस्टेंट डॉक्टरों और नर्सों के असिस्टेंट के रूप में काम करेंगे.
ये एक सर्टिफिकेट कोर्स है जिसे गुरु गोबिंद सिंह यूनिवर्सिटी से एफिलिएट किया गया है. इस ट्रेनिंग कोर्स का पहला बैच 28 जून से शुरू हो गया है. कोर्स के लांच पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए 4 दिन के अंदर ही 1.5 लाख लोगों ने आवेदन किया. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली में एक ऐसे मेडिकल यूथ फ़ोर्स को तैयार करना चाहते है जो किसी भी स्वास्थ्य आपदा से लड़ने के लिए तैयार रहें.
पहले बैच में 500 ट्रेनीज को दिल्ली के 9 बड़े अस्पतालों में ट्रेनिंग दी जा रही है. 12 दिन की इस ट्रेनिंग को 2 चरणों में बांटा गया है. पहले चरण में ट्रेनीज को 1 सप्ताह तक डेमोंस्ट्रेशन क्लास के ज़रिए बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी और उसके अगले सप्ताह अस्पतालों में असिस्टेंट के तौर पर काम सिखाया जाएगा. ट्रेनिंग के दौरान इन्हें पैरामेडिक, लाइफ सेविंग, फर्स्ट एड, होम केयर की ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसके तहत ऑक्सीजन नापने, ब्लड प्रेशर नापने, इंजेक्शन लगाने, कैथेटर, सैंपल कलेक्शन, सीपीआर, ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क लगाने जैसे काम सिखाए जाएंगे. दिल्ली सरकार ने इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए 5 करोड़ रुपये जारी किया है.
इन 9 अस्पतालों में चल रहा है बेसिक ट्रेनिंग प्रोग्राम-
- राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल- दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल- राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल- चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय- संजय गांधी हॉस्पिटल- अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज- ईएसआई हॉस्पिटल वसई धारापुर- हिंदूराव अस्पताल- वर्धमान महावीर हॉस्पिटल
यहां डमी डेमोंस्ट्रेशन के ज़रिए डॉक्टर्स छात्रों को सही तरीका और बेसिक प्रोटोकॉल से भी अवगत कराते हैं. छात्रों को खुद भी इसे डेमोंस्ट्रेट करके दिखाना होता है ताकि वो बेहतर तरीके से प्रक्रिया को समझ सकें.
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ बी एल शेरवाल ने कहा कि कोरोना की इस लहर के दौरान हमने देखा कि पूरी तरह से हेल्थ स्टाफ की तैनाती के बावजूद के लगने के बाद भी मरीजों के कुछ कन्सर्न रहते हैं, कोरोना के कारण मरीजों के पास उनके परिजन नहीं रह सकते. खाने, ट्वायलेट जाने, आदि में मरीजों को सहायता की जरूरत होती है. इसे सोचकर ही यह कोर्स तैयार हुआ है. दिल्ली सरकार की सोच थी कि ऐसे लोगों को ट्रेनिंग दी जाए. कोरोना में ऑक्सीजन देने के लिए मास्क लगाया जाता है, मरीज HFNO या वेंटिलेटर पर होते हैं, ऐसे में उन्हें क्लोज वाच की जरूरत होती है, तो ये हेल्थ असिस्टेंट उस गैप को पूरा करेंगे. तीसरी वेव में अगर केसेज बढ़ते हैं, तो उसके लिए हम इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं. सभी राज्यों को यह अपनाना चाहिए, दिल्ली इसमें लीड कर रही है और यह एक उदाहरण है.
ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग ले रही काजल चौधरी ने आईपी यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की है. काजल का कहना है कि इस कोर्स को जॉइन करने का एक ही मकसद है कि हम अपने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की मदद कर पाएं. अगर हम किसी एक की भी जान बचा पाएं तो ये हमारे लिए बड़ी बात है. इस कोर्स में हम सीख रहे हैं कि कैसे बेसिक चीज़ों के बारे में सीखकर लोगों की जान बचा सकते हैं.
बीफार्मा की पढ़ाई कर रहे नितिन का कहना है कि ये कोर्स वो लोगों को मदद करने के लिए कर रहे हैं. नितिन का कहना है कि कोविड में मरीज़ की मदद उनके घरवाले भी नहीं कर सकते हैं ऐसे में हम उनके साथ होंगे. इस ट्रेनिंग में हमें सिखाया जा रहा है कि कैसे हम उनके घर के सदस्य बनकर उनकी मदद करें. इस ट्रेनिंग के बाद हम इतने सक्षम हो जाएंगे कि अपने आस-पड़ोस के लोगों की भी मदद कर सकें.
दिल्ली सरकार का कहना है कि इस ट्रेनिंग के बाद हमारे हेल्थ असिस्टेंट न केवल आपदा से लड़ने के लिए तैयार होंगे बल्कि सामान्य दिनों में ज़रूरत पड़ने पर अपने परिवारजनों और आस-पास के लोगों को भी मेडिकल सहायता दे पाएंगे. ट्रेनिंग के बाद सभी हेल्थ असिस्टेंट को एक सर्टिफिकेट के साथ मेडिकल किट भी दिया जाएगा. इस मेडिकल किट में ब्लड प्रेशर जांचने की मशीन, थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर होगा.
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