नई दिल्लीः हर साल दुनियाभर में 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. 19 साल पहले इसकी शुरुआत अंतराष्ट्रीय श्रम संघ ने की. इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम ना कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने और आगे बढ़ने के लिए जागरूक करना है, ताकि बच्चे अपने सपनों और बचपन को ना खोएं.


इस दिन दुनियाभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम पर रोक लगाना भी है. हर साल यह कोशिश रहती है कि 12 जून को विश्व दिवस बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर किया जाए. सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नागरिक समाज के साथ-साथ दुनिया भर के लाखों लोगों को जागरूक किया जाता है और उनकी मदद के लिए कई कैंपेन भी चलाए जाते हैं. कई बच्चे ऐसे है जो बहुत छोटी उम्र में अपना बचपन खो देते हैं. 5 से 17 साल के बच्चे ऐसे काम में लगे हुए हैं जो उन्हें सामान्य बचपन से वंचित करते हैं और शिक्षा और स्वास्थ्य से दूर हैं.


हर साल रखी जाती अलग थीम
हर साल वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर की थीम डिसाइड की जाती है. 2019 में इसकी थीम 'बच्चों को खेतों में काम नहीं, बल्कि सपनों पर काम करना चाहिए'  रखी गई थी. ऐसे ही 2020 में इसकी थीम ''बच्चों को कोविड-19 महामारी'' रही. कोविड-19 महामारी के फैलने के कारण कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न हुई, इससे कई लोगों की जिंदगी पर असर पड़ा और इस वजह से कई बच्चों की जिंदगी भी प्रभावित हुई है, ऐसी स्थिति में बहुत से बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेला भी गया . इस वजह से बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस 2021 की थीम ''कोरोनावायरस के दौर में बच्चों को बचाना'' रखी गई. यह दिवस इसलिए भी अहम है क्योंकि यह बच्चों के विकास और उनके हक के लिए आवश्यक चीजों की और ध्यान केंद्रित करता है.


वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का इतिहास
आपको यह भी बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)  ने बाल श्रम खत्म करने के लिए आवश्यक कार्रवाई लिए 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का शुभारंभ किया था. हर किसी के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चों से उनके सपने ना छीने. उनके हाथों में छाले नहीं, कलम और किताब होनी चाहिए. यह हमारे देश का भविष्य हैं और इन्हें बाल श्रम करने से रोकना हम सबका फ़र्ज़ है.


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