नई दिल्ली: हर साल की साल तरह इस साल भी 1 दिसंबर को यानी आज वर्ल्ड एड्स डे मनाया जा रहा है. एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिन्ड्रोम (एड्स) की रोकथाम के लिए भारत समेत पूरी दुनिया में प्रयास किए जा रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ सालों में एड्स से होने वाली मौतों में कमी आई है. भारत में इस गंभीर बीमारी को रोकने के लिए तमाम तरीके अपनाए गए और लोगों को विज्ञापन के जरिए एड्स के प्रति जागरुक किया गया. यही कारण है कि इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में कमी दर्ज की गई है.

Continues below advertisement

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस बार वर्ल्ड ऐड्स डे के लिए स्पेशल थीम रखी है, जिसका नाम 'कम्युनिटी मेक द डिफरेंस' रखा गया है. इस खतरनाक बीमारी की रोकथाम के लिए दुनिया में कई बड़े वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हुए हैं. एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि एक इंफ्यूजन नाम की तकनीक एड्स को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकती है.

हालांकि इससे पहले भी एड्स को रोकने के लिए कई तकनीकों का प्रयोग किया जा चुका है लेकिन इससे कुछ खास फायदा नहीं हुआ. ऐसे में इंफ्यूजन नाम की इस तकनीक से इस घातक बीमारी से जूझ रहे लोगों को काफी उम्मीदें हैं. पूरी दुनिया में करीब चार करोड़ लोग एड्स जैसे खतरनाक रोग के शिकार हैं जबकि भारत में ये आंकड़ा 20 से 25 लाख है. हैरानी की बात ये है कि दुनिया में 80 लाख लोगों को ये पता ही नहीं कि उन्हें एड्स है. भारत में लोग समाज के डर से इस बीमारी के बारे में बात नहीं करते और इसे छुपाते हैं जिसका उन्हें बाद में खामियाजा भुगतना पड़ता है. समाज भी एचआईवी से पीड़ित लोगों ठीक व्यवहार नहीं करता जिससे वह अपने इस गंभीर रोग को बताने में झिझकते हैं और इसका समाधान नहीं हो पाता.

Continues below advertisement

एड्स कई कारणों से फैलता है जैसे संक्रमित रक्त, संक्रमित सुई व सीरिंज, असुरक्षित यौन संबंध. इन मुख्य कारणों से ही एड्स फैलने का खतरा रहता है. ऐसे में लोगों को इनसे बचने की खास जरुरत है. साथ इससे बचने के उपायों का प्रचार करने की भी आवश्कयता है. कई बड़ी एनजीओ और संस्थाएं एड्स के प्रति लोगों को जागरुक रही हैं. यही कारण है कि एड्स के कारण होने वाली मौतों में 2004 के मुकाबले काफी कमी आई है.

ये भी पढ़ें

लिपिड नेनोपार्टिकल से रोगग्रस्त कोशिकाओं को ठीक करने में मिलेगी सफलता, बदल जायेगी भविष्य की दवा

दिल की धड़कनों का बार-बार तेज होना हो सकता है खतरनाक, जानें इसके बारे में