नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली के महिला छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को ‘सभ्य’ और ‘पूरे कपड़े’ पहनने की सलाह देने वाले एक कथित सर्कुलर को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. हंगामा ज्यादा बढ़ने के बाद संस्थान प्रशासन को इस सर्कुलर को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा.

संस्थान के हिमाद्री छात्रावास ने वार्डन श्रीदेवी उपाध्याय द्वारा कथित रूप से ट्रांसफर इस नोटिस में कहा गया था ‘निवासियों से अनुरोध है कि वह हाउस डे पर पूरी तरह ढके हुए पश्चिमी या भारतीय कपड़े पहनें.’ हाउस डे का आयोजन 20 अप्रैल को होना है. यह संस्थान का वाषिर्क समारोह में जिसमें छात्र एक घंटे के लिए किसी अतिथि को हॉस्टल बुला सकते हैं.

हालांकि, वार्डन उपाध्याय ने ऐसा कोई नोटिस जारी करने से इनकार किया है.

छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने सोशल मीडिया पर इस नोटिस की आलोचना करते हुए इसे ‘मोरल पुलिसिंग’ बताया. वहीं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रतिष्ठित संस्थान की उसकी ‘पितृसत्तात्मक’ मानसिकता के लिए आलोचना की.

हंगामे के बाद आईआईटी प्रशासन हरकत में आया और नोटिस को वापस लेते हुए कहा कि अधिकारियों को ऐसे किसी ‘सर्कुलर’ की जानकारी नहीं थी.

आईआईटी दिल्ली के विद्यार्थी कल्याण मामलों के डीन एस. कृष्णा का कहना है, ‘हम सामान्य तौर पर कैसे कपड़े पहनने चाहिए, इस संबंध में कोई नोटिस जारी नहीं करते. वास्तव में, मुझे ऐसा कोई नोटिस लगाए जाने की जानकारी भी नहीं थी.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने कार्यालय को निर्देश दिया है कि इसे तुरंत हटाएं. हम छात्रों- छात्राओं. के व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते, और हमारे यहां कोई ड्रेस कोड भी नहीं है.’’

आईआईटी दिल्ली में महिलाओं के लिए दो छात्रावास हैं. हिमाद्री और कैलाश. नोटिस से नाराज विद्यार्थियों ने इसे ‘पिंजरा तोड़’ के साथ साझा किया. यह आंदोलन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में महिला छात्रावासों के लिए भेदभावपूर्ण नियमों के खिलाफ लड़ता है.

महिला आयोग प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा कि आयोग भी इस मामले में हस्तक्षेप करेगा.

मालिवाल ने कहा, ‘यह आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा पितृसत्तात्मक मानसिकता का बेहद खराब प्रदर्शन है. इस प्रकार के नैतिक पहरेदारी को रोकने की जरूरत है. डीसीडब्ल्यू मामले में हस्तक्षेप कर रही है.’ छात्रावास की वार्डन श्रीदेवी उपाध्याय ने कहा, ‘मैंने ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया है. यह विद्यार्थियों का कोई मजाक मालूम होता है, क्योंकि यह सोशल मीडिया पर भी था. मुझे बताया गया कि उसपर मेरा हस्ताक्षर था और मैंने मामले की जांच के लिए छात्रावास कर्मचारियों की बैठक भी बुलायी है.’