केंद्र सरकार ने बुधवार (3 दिसंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 8 साल के बेटे के साथ बांग्लादेश निर्वासित की गई गर्भवती महिला सोनाली खातून को वापस लाएगी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि महिला को जरूरी मेडिकल सहायता दी जाएगी और निगरानी में रखा जाएगा. तुषार मेहता ने साफ किया कि सरकार का यह निर्णय पूरी तरह मानवीय आधार पर लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने महिला और उसके आठ साल के बच्चे को मानवीय आधार पर भारत में प्रवेश की अनुमति दे दी है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत (CJI Surya Kant) और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार को नाबालिग बच्चे की देखभाल करने और बीरभूम जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को गर्भवती महिला सोनाली खातून को हर संभव चिकित्सा सहायता मुहैया कराने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के 26 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने सोनाली खातून और अन्य को बांग्लादेश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और इस कार्रवाई को अवैध करार दिया था.
महिला के पिता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और संजय हेगड़े ने कहा कि महिला और उसके बच्चे को उनके गृह जिले पश्चिम बंगाल के बीरभूम लाया जाए, जहां उसके पिता रहते हैं.' उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि बांग्लादेश में सोनाली के पति समेत अन्य लोग भी हैं, जिन्हें भारत वापस लाने की जरूरत है. इसके लिए तुषार मेहता केंद्र से आगे के निर्देश ले सकते हैं.
तुषार मेहता ने कहा कि वह उनके भारतीय नागरिक होने के दावे को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं. तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ मानवीय आधार पर उस महिला और उसके बच्चे को भारत में आने की अनुमति दे रही है. जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि अगर महिला यह प्रमाणित कर देती है कि वह भोदू शेख की पुत्री है, तो यह उसकी भारतीय नागरिकता स्थापित करने के लिए पर्याप्त होगा.
अब सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. महिला के पिता ने आरोप लगाया कि दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर 26 में दो दशक से ज्यादा समय से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले इन परिवारों को पुलिस ने 18 जून को बांग्लादेशी होने के शक में पकड़ लिया और बाद में 27 जून को सीमा पार भेज दिया.