नई दिल्ली: सरकारें महिलाओं को लेकर दावे बड़े बड़े करती हैं, लेकिन कामकाजी महिलाओं के साथ किस तरह का सलूक होता है इसका एक नमूना रेलवे में देखने को मिला है. रेलवे की एक महिला कर्मचारी के खिलाफ इसलिए कार्रवाई की गई क्योंकि उसने साहब के साथ स्टेज पर गाना गाने से मना कर दिया था.
दरअसल विलासपुर जोन के बुजुर्ग जीएम सतेंद्र कुमार के रियाटरहोने पर एक फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया गया था. इसमें जीएम साहब के मातहत अफसरों ने साहब को खुश करने के लिए तय किया था कि विभाग की एक महिला क्लर्क साहब के साथ स्टेज पर उनके पसंद के गाने गाएगी.
महिला ने एक गाना गाया भी लेकिन बाकी दो गाने से मना कर दिया तो मातहतों का खून उबल पड़ा. बड़े साहब को खुश करने और चाटुकारिता का आखिरी दांव खेलने से चूके छोटे साहब ने बेचारी महिला क्लर्क का सुबह होते होते तबादला ही कर दिया.
हालांकि बात लीक हो गई और रेलवे हेड क्वार्टर ने तुरंत ट्रांसफर ऑर्डर कैंसिल कर पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. जांच विभागीय है और मामला बड़े अफसर का तो कितना सही सामने आएगा ये तो नहीं पता लेकिन महिला कर्मचारी की मां का कहना है कि
उसे अक्सर इसी तरह देर रात तक रोक कर परेशान किया जाता है.
सवाल ये उठता है कि सरकार निजी सेक्टर में महिलाओं के काम के घंटे तय करने और वहां उनके लिए बेहतर माहौल देने के लिए नियम कानून लागू करवा रही है लेकिन अपनी नाक तले महिलाओं के साथ हो रहा इस तरह का व्यवहार उसे क्यों नजर नहीं आता. किसी महिला कर्मचारी को निजी कार्यक्रम में गाने के लिए कैसे मजबूर किया जा सकता है.