एक बच्चे से उसकी मां का रिश्ता उसी दिन जुड़ जाता है जिस दिन बच्चा मां के गर्भ में आता है. मां और बच्चे का रिश्ता हर रिश्ते से ऊपर होता है, जिसे कोई नहीं तोड़ सकता. मंजू बेगम नाम की महिला की ममता के आगे खुद उनकी बीमारी भी नतमस्तक हो गई. मंजू बेगम तमिलनाडु के तिरुवन्नमलाई में रहती थीं, लेकिन मानसिक बीमारी के चलते वो साल 1993 में लापता हो गई थीं. जिसके बाद उनके परिवार ने उनको काफी खोजा पर कोई जानकारी नहीं मिली. लेकिन 28 साल बाद अचानक से वो पनवेल के सील आश्रम में मिली जहां उनके दोनों बेटे उन्हें देख खुशी के आंसू रोने लगे.

सड़कों पर लंबे समय तक जीवित रहीं मंजू

साल 2012 में, वो पनवेल में भटकती पाई गई, जिसके बाद उन्हें सोशल एंड इवेंजेलिकल एसोसिएशन फॉर लव शेल्टर में भर्ती किया गया. जहां उनकी काउंसलिंग की गई और मनोरोग का इलाज किया गया. वहीं एसईएएल के संस्थापक पादरी केएम फिलिप ने बताया कि ये एक चमत्कार था जो वो सड़कों पर इतने लंबे समय तक जीवित रहीं.

तब उनका छोटा बेटा 3 महीने का था जो बरसों से अपनी मां से मिलने के लिये तड़प रहा था. लेकिन मंजू के स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्होंने अपने घर की जानकारी दी जिसके बाद पादरी ने अरुणी तालुक पुलिस स्टेशन से संपर्क किया, जिसके बाद मंजू अपने पति और दोनों बेटों से मिल सकीं.

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