नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते एक साल से अधिक वक्त से जारी गतिरोध सुलझाने की कोशिशों में फिर बातचीत की कवायदों का दौर शुरु होगा. इस कड़ी में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक स्तर पर इस हफ्ते डब्लयूएमसीसी की अहम बैठक होगी. वहीं इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की वार्ताएं भी होनी हैं. भारत-चीन सीमा मामलों पर बातचीत के लिए बने डबल्यूएमसीसी की 22वीं बैठक गुरुवार 24 जून को होगी. 


महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन के बीच बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर संवाद की कवायद बीते कई हफ्तों से रुकी हुई है. दोनों देशों के बीच डब्ल्यूएमसीसी की 21वें दौर की बैठक जहां 12 मार्च को हुई थी.


उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस हफ्ते होने वाली बैठक में भारत का जोर खासतौर पर पीपी15 और पीपी17ए जैसे उन बिंदुओं से सैन्य मौजूदगी घटाने के फार्मूला पर होगा जहां दोनों तरफ से सैनिक मोर्चाबंदी अब भी मौजूद है. क्योंकि आमने-सामने की मोर्चाबंदी हटाए बिना आपसी तनाव घटाने के अन्य उपायों को सुनिश्चति करना और शांति बहाली के कदमों पर बढ़ना मुमकिन नहीं है. इन वार्ताओं के नतीजे भारत और चीन के बीच रुकी शीर्ष स्तर संवाद समेत द्विपक्षीय रिश्तों की प्रक्रिया का भविष्य तय करेंगे. 


साथ ही सीमा तनाव के बीच भारत के लिए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन जैसे आयोजनों की मेजबानी भी कूटनीतिक चुनौती ही होगी. गौरतलब है कि ब्राजील,रूस,भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह ब्रिक्स की अध्यक्षता इस बार भारत के पास है. ऐसे में भारत को सितंबर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी है जिसमें अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और भागीदार के तौर पर अन्य नेताओं के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद रहेंगे. कोरोना के हालात और चीन के साथ संबंधों में तनाव के बीच इस बात की संभावना ही अधिक है कि ब्रिक्स की यह शिखर बैठक वर्चुअल तरीके से हो.


ध्यान रहे कि पिछली बार चीन ने 9 अप्रैल को हुई सैन्य कमांडर स्तर वार्ता में हॉटस्प्रिंग (पीपी15) और गोगरा (पीपी17ए) जैसे इलाकों से अपनी सैन्य मौजूदगी हटाने से इनकार कर दिया था. ऐसे में भारत ने भी इन मोर्चों पर अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है. हालांकि इतना जरूर है कि पहले की तुलना में इन दोनों ही इलाकों में सैनिकों की मौजूदगी पहले की अपेक्षा कुछ कम हुई है. 


गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच फरवरी 2021 में बनी आपसी समझ के बाद पैंगोंग झील के उत्तर व दक्षिणी इलाकों से दोनों पक्षों ने अपनी सैन्य मौजूदगी घटा ली थी. हालांकि लद्दाख में फैली वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई मोर्चों पर सैन्य असहमति के बिंदु बरकरार हैं. हॉटस्प्रिंग और गोगरा ऐसे ही इलाके हैं जहां मई 2020 के बाद से चीन ने अपने सैनिकों को आगे बढ़ाया लेकिन अब तक पीछे नहीं लिया है. गत सप्ताह विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि आमने-सामने की मोर्चाबंदी खत्म करने के लिए तय डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शेष इलाकों में जल्द पूरी होने पर तनाव घटाने के उपायों पर दोनों पक्ष आगे बढ़ सकेंगे. ताकि शांति बहाली और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को आगे बढ़ाया जा सके.


इसके अलावा देपसांग इलाके में भी चीनी सौनिकों की मौजूदगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक फांस की तरह बरकरार है. सूत्रों के मुताबिक पूरी तरह शांति बहाली और अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटने के लिए जरूरी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर न केवल चीन के सैनिक आमने-सामने की मोर्चाबंदी हटाने पर राजी हों. बल्कि चीन इलाके से अपनी सैन्य मौजूदगी घटाने पर भी राजी हो. तभी डिसएंगेजमेंट और डीएस्केलेशन यानी तनाव घटाने की तय योजना को अमल में लाया जा सकता है.


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