लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चल रही चर्चा पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी अपना पक्ष रखा. बहस के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि आप भाषण बहुत अच्छा देते हैं. सिर्फ एक कमजोरी है, कि वो तथ्यों के मामलों में कमजोर पड़ जाते हैं. इसमें भी एक कला होती है, कि तथ्य किस तरह रखे जाएं. मैं भी रख रही हूं, कलाकार तो नहीं हूं. मैं भी जनता के सामने तथ्य रखना चाहती हूं, सिर्फ तथ्यों के रूप में रखना चाहती हूं. 

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प्रियंका गांधी ने अपना भाषण कहा, 'हमारा राष्ट्रगीत उस भावना का प्रतीक है, गुलामी में सोए हुए भारतवासियों को जगाया. वंदेमातरम् का नाम लेते हैं तो हमें उस पूरे इतिहास की याद आती है जो स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास था. वंदेमातरम् उस आधुनिक राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है जिसने भारत के लोगों को राजनीतिक अकांक्षा से जोड़ा. आज की ये बहस कुछ अजीब सी लग रही है, ये गीत देश की आत्मा का हिस्सा बन चुका है.'

इस बहस की अवश्यकता क्यों?

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कांग्रेस महासचिव ने कहा, '75 सालों से हमारा देश आजाद है, तो फिर इस बहस की आवश्यकता क्या है. अब इस मोड़ पर इस सदन में अपने राष्ट्रगीत पर भी बहस करेंगे. आप तो इलेक्टोरल रिफॉर्म पर बहस नहीं मान रहे थे.  ये हमारा राष्ट्रगीत है.. इस पर हम क्यों बहस कर रहे हैं, पहला तो बंगाल का चुनाव और दूसरा देश का जनता ज्वलंत मुद्दों से भटकाना चाहती है.'

'मोदी जी वो पीएम नहीं रहे, जो एक समय थे'

उन्होंने कहा, 'ये सरकार वर्तमान और भविष्य तो देखना ही नहीं चाहती, आज वो मोदी जी वो पीएम नहीं रहे जो एक समय में थे, उनका आत्मविश्वास घटने लगा है. सत्ता पक्ष के साथी इसलिए चुप हैं क्योंकि अंदर अंदर से वो भी इस बात से सहमत है. आज देश के लोग खुश नहीं है, परेशान है और आप उसका हल नहीं निकाल रहे हैं. इनके भी लोग दबी जुबान से कहने लगे हैं कि सत्ता का केंद्रित करने से देश का नुकसान हो रहा है. इसबीच हम अगर अतीत की बातें नहीं करेंगे तो क्या करेंगे. इनका काम ध्यान भटकाना है. इस पर बहस नहीं हो सकती है. 1930 के दशक में जब हमारे देश में जब सांप्रदायिक राजनीति उभरी तब ये गीत विवादित होने लगा.'

हम कितने भी चुनाव हारें, यहां लड़ते रहेंगे: प्रियंका

प्रियंका गांधी ने कहा, 'हम जितने भी चुनाव हारें, हम यहां लड़ते रहेंगे, इस देश के लिए. गुरूदेव जी कहते हैं कि जो दो अंतरे गाए जाते थे कि उनका अर्थ इतना गहरा था कि उनको इससे अलग करने में कोई कठिनाई है, जो स्वतंत्रता संग्राम में गाया जाता था. राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान के अंशो को चुनने में भूमिका टैगोर जी की थी. क्या सत्ता पक्ष के साथी इतने अहंकारी हो गए हैं कि गांधी सुभाष जी से बड़ा समझने लगे हैं. मोदी जी का कहना कि राष्ट्रगीत को विभाजनकारी सोच के कारण काटा गया ये उनका अपमान है, जितने देर इस देश के पीएम रहे हैं, लगभग उतने ही सालों के लिए नेहरू जी जेल में रहे हैं.'