अंतरिक्ष यानी स्पेस मिशन को लेकर भारत की बड़ी तैयारी है. 2040 तक भारत सरकार एक मानव मिशन चांद पर ले जाने की योजना बना रही है. इसकी तैयारी के लिए कई और यान आने वाले समय में अंतरिक्ष को रवाना होंगे. 

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शीतकालीन सत्र के दौरान तमिलनाडु की लिबरेशन पैंथर्स पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष और चिदंबरम लोकसभा क्षेत्र से सांसद डॉ. थोल थिरुमावलवन ने सरकार से स्पेस मिशन को लेकर सवाल पूछा. उनके प्रश्न का जवाब राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दिया. उन्होंने बताया कि 2040 तक भारत चांद पर इंसान को उतारने की योजना बना रहा है. 

भारत के अंतरिक्ष स्टेशन का मॉड्यूल तैयारउन्होंने बताया कि इसरो ने पांच मॉड्यूल वाले स्वदेशी भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉड्यूल तैयार कर लिया है. इसके 2035 तक पूरी तरह से एक्टिव होने की उम्मीद है. इस पूरे मॉड्यूल का रिव्यू राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा समिति ने की है. 

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उन्होंने बताया कि सितंबर 2024 में कैबिनेट ने 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस-01) के पहले मॉड्यूल के विकास और प्रक्षेपण को मंजूरी दी जा चुकी थी. बीएएस 01 मॉड्यूल की गतिविधियां अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं. इनमें इंजीनियरिंग प्रणाली और कई उप प्रणालियों का टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट पर काम चल रहा है. 

कई पूर्ववर्ती मिशनों जिनमें बीएएस-1 के डेवलपमेंट और प्रक्षेपण के लिए बजट का आवंटन गगनयान प्रोग्राम में ही रखा गया है. इसका वजह 2024 में बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपए कर दिया गया है. 

2028 तक तैयार हो सकता है बेस मॉड्यूलइसके बेस मॉड्यूल (बीएएस-01) का डेवलपमेंट और प्रक्षेपण को पूरा करने का लक्ष्य 2028 तक रखा गया है. 5 मॉड्यूल के साथ बीएएस को ऑपरेशन के लिए तैयार होने का लक्ष्य 2035 तक रखा गया है.   

अंतरराष्ट्रीय मानकों का रखा जा रहा ध्यानउन्होंने बताया कि इसरो बीएएस-01 उप प्रणालियों के डिजाइन में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को शामिल कर रहा है. इससे बीएएस-01 की अंतर संचालनीयत को सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के समर्थन और सहयोग की खोज भी की जा रही है. इनमें भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए तकनीकी डेवलपमेंट और टेस्टिंग के उपयोग भी शामिल हैं. 

पहला मानव मिशन है गगनयानगगनयान भारत का पहला मानव मिशन है. जो पृथ्वी के निचली कक्षा (LEO) तक मानव को सुरक्षित ले जा सकेगा, साथ ही उनकी वापसी को सुनिश्चित करेगा. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) भविष्य में बड़ा कदम है. यह अंतरिक्ष की रहस्यों भरी नई दुनिया के द्वार खोलेगा. इससे भारत के अंतरिक्ष विजन 2047 में परिकल्पित भारतीय मानव अन्वेषण मिशनों (जैसे- चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग) को भी सहायता मिलेगी.